अंग्रेजी नये साल की मुबारक बाद देना कैसा है और नया साल मनाना कैसा है? Happy New Year Wish Ya Mubarakbad Dena Kaisa hai

अंग्रेजी नये साल की मुबारक बाद देना कैसा है और नया साल मनाना कैसा है?

Happy New Year Wish Ya Mubarakbad Dena Kaisa hai

इसपर हुज़ूर ताजुश्शरिया का फतवा आ चुका है आप फरमाते हैं कि नये साल की मुबारक बाद देने में हरज नहीं।

👉 और रही बात मनाने की तो यूंही अगर दोस्तों को दावत दी या घर बुलाया तो इस में भी हरज नहीं और नाजायज़ काम करना मसलन नाचना गाना बेह़ायाई करना या ह़राम चीज़ों का इस्तेमाल करना ये सब तो कभी भी जायज़ नहीं इसके लिए किया नया साल और किया पुराना एक बात और मैंने देखा कि शोसल मिडिया पर लोग इस पर इतने सख्त हैं कि माज़ अल्लाह इसे शियारे कुफ्फार और कुफ्र तक लिख रहे हैं तो कोई मुशाबेहत कहकर इसका रद कर रहे हैं तो जान लीजिए कि ये सरासर जिहालत है और कुछ नहीं कियोंकि शियारे कुफ्फार से मुराद वो काम होता है जिसे उनके मज़हब में इबादत का दरजा हासिल हो और मुशाबेहत में भी इसका खयाल रखा जाता है कि मुशाबेहत किस में हो रही है,तो नया साल जिसे कहते हैं वो हमारे यहाँ शमसी साल कहलाता है और ये 365 दिन का होता है और जिसे इस्लामी नया साल कहते हैं वो क़मरी साल कहलाता है और ये 355 दिन का होता है तो ये सूरज और चांद का चलना और साल का बदलना ये तो क़ुदरत का निज़ाम है इस में उनकी मज़हबी दखल कहाँ अगर चेह वो कहते हों तो भी किया,इस तरह मुशाबेहत अगर देखने लगे तब तो हो चुका कियोंकि वो भी खाना खाते हैं तो क्या करें हम खाना ना खायें वो भी रात को सोते हैं तो क्या करें हम दिन को सोयें ताकि मुशाबेहत ना हो वो भी पैर से चलते हैं तो हम क्या हाथ से चलने लगें  हां कोई नये साल की मुबारक बाद नहीं देता तो अच्छा करता है मगर कोई देता है तो ये कोई नाजायज़ो ह़राम नहीं है कि जिस पर पोस्ट बना बना कर सेंट की जा रही है मुसलमानों को जो काम करना चाहिए वो तो करते नहीं हैं फुज़ूल की अपनी तरफ से मनघड़ंत बातें बनाते रहते हैं और उसे दीन का काम करना कहते हैं माज़ अल्लाह।

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