जब 313 मुस्लिमों ने 1000 कुफ़्फ़रो को दी शिकस्त, ईमान ताजा करने वाला किस्सा एक बार जरूर पढ़ें।



JUNG-E-BADR


हुज़ूर पुरनूर नबी ए करीम सल्ललाहो अलेहे वसल्लम अपने 313 सहाबा ए किराम अज़मइन के साथ सन् 2 हिजरी में मदीने शरीफ से बदर के मुक़ाम तक पहुंचे जहा कुफ्फार के साथ जंग ए बदर का मशहूर वाकया रुनुमा हुआ |

जब आप लोग बदर के मुक़ाम पे पहुंचे तो रात हो चुकी थी उस वक़्त अरब के क़ाइम कर्दा अक़ाइद के तहत ये तय पाया गया की जंग सुबह होगी लिहाज़ा रात भर आराम किया जाये, लिहाज़ा एक तरफ मुसलमानो के लश्कर ने पड़ाव डाला जबकि दूसरी ज़ानिब कुफ्फार अपने लश्कर के साथ ठहरे, हालांकि अगर पता हो की सुबह जंग होने वाली हे तो मारे खौफ के कहा नींद आँखों में आएगी सहाबा ए इकराम रज़ियल्लाहो अन्हो तो शहादत पाने की ख़ुशी में और ज़ज़्बा ए इमानी से सरशार वेसे भी न सो सके की सुबह न जाने किसकी किस्मत में जाम ए शहादत नोश करना लिखा हो मगर अल्लाह त'आला की क़ुदरत ए कामला के उस ज़ात ए पाक ने तमाम इस्लामी लश्कर को सुकून की नींद मुहैया की कि इससे पहले सहाबा ए इकराम कभी ऐसी पुरसुकून नींद न सोये थे !!

उधर कुफ्फार को अल्लाह करीम की क़ुदरत ए कामला से रात भर एक खौफ तारी कर दिया गया जिससे उनको सारी रात नींद न आयी, एक और चीज़ कि अल्लाह ने मुसलमानो के दिलों में कुफ्फार के लश्कर को इंतेहाई कम कर दिया जबकि कुफ्फार के दिलों में ये खौफ डाल दिया जैसे वो 313 न हो बल्कि 1000 हो, सुबह हुई हुज़ूर नबी ए करीम सल्ललाहो अलेहे वसल्लम की इक्तिदा में सब सहाबा ए इकराम अज़मइन रज़ियल्लाहो अन्हो ने नमाज़ ए फ़ज्र अदा की और नमाज़ अदा करते ही नबी ए करीम सल्ललाहो अलेहे वसल्लम ने सब से कहा के अगर ऐसा हो जाये अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की ज़ानिब से 1000 फ़रिश्ते तुम्हे जंग में साथ दे तो कैसा हो, तो सहाबा ए इकराम अज़मइन रज़ियल्लाहो अन्हो मारे ख़ुशी के झूम उठे फिर फरमाया की 3000 आ जाये तो फिर तमाम सहाबा रज़ियल्लाहो अन्हो और खुशी से झूम गए फिर आखरी में फ़रमाया की अगर 5000 फ़रिश्ते आ जाये तो कैसा हो तो तमाम सहाबा ए इकराम रज़ियल्लाहो अन्हो बहुत खुश हुवे और कहने लगे कि अगर ऐसा हुआ तो हम कुफ्फार पर बड़ी आसानी से ग़ल्बा पा जायेगे क़ुर्बान जाए सरकार ए दो आलम सल्ललाहो अलेहे वसल्लम पर कि उस वक़्त अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने भेजने का इरादा नहीं फरमाया था मगर जब हुज़ूर नबी ए करीम सल्ललाहो अलेहे वसल्लम ने फ़रमा दिया तो अल्लाह करीम ने अपने हबीब सल्ललाहो अलेहे वसल्लम के लिए फरिश्तों की फ़ौज़ भेज दी !



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तो जब जंग शुरू हुई तो अल्लाह करीम ने फरिश्तों को हुक्म दिया के जाओ और असहाब ए बदर के साथ जंग में कुफ्फार से लड़ो और ऐसे जाना की तुम्हारे हाथो में तीर और तलवार हो जंगी लिबास में जाना
तो हुक़्मे बारी ताला पाते ही फरिश्तों की जमात सरदार ए मलाइका हज़रत ज़िब्रिल अलेहहिस्सलाम की कियादत में असहाब ए बदर के साथ कुफ्फार से जंग करने आ गए और ये जंग मुसलमानो ने फरिश्तों की गैबी मदद से बा आसानी जीत ली, बहुत से कुफ्फार के सरदार इस जंग में मारे गए जिससे उन की कमर टूट गयी और बहुत से कुफ्फार को कैदी बना लिया गया तो नबी ए करीम सल्ललाहो अलेहे वसल्लम ने सहाबा ए इकराम रज़ियल्लाहो अन्हो से पूछा कि क्या किया जाए इनके साथ। तो सबने अपनी अपनी राय दी के ई को क़त्ल कर दिया जाए, या इनको कैदी बनाकर गुलाम बना लिया जाये मगर क़ुर्बान जाए आक़ा ए दो जहा सल्ललाहो अलेहे वसल्लम पर के अल्लाह करीम ने बेशक आप को रहमतुललिल आलमीन बनाकर भेजा तो आपने ये फैसला किया की उन से फायदा लेकर छोड़ दिया जाए| 

क्या बात हे सरकारे दो आलम सल्ललाहो अलेहे वसल्लम की के लोग उनको मारने की गरज से आते और आप अपनी रहमत ए बा करम के सदके उनको छोड़ देते| 


फ़रिश्ते भी वापस चले गए जंग के बाद आपने नमाज पढ़ाई ..!!
जब आप नमाज से फारिग हुए तो एक सहाबी ने अर्ज़ किया कि या रसूलल्लाह सल्ललाहो अलेहे वसल्लम आप नमाज के दौरान मुस्कुरा क्यों रहे थे तो आक़ा सलल्लाहो अलेहे वसल्लम ने मुस्कुरा कर जवाब दिया की
जिब्रील ए अमीन अलैहिस्सलाम जंग के बाद तमाम फरिश्तों को लेकर वापस चले गए तो अल्लाह के हुक्म से आसमान पर फरिश्तों ने उन्हें आने से रोक दिया और फ़रमाया की तुम जिस मक़सद के लिए गए थे उसके बिना कैसे आ गए ...??
तो जिब्रील अलैहिस्सलाम ने फरमाया की हम तो जंग में सहाबा की मदद करने के किये गए थे तो उन्होंने फ़रमाया नहीं तुम को रज़ा ए मुस्तुफा सल्ललाहो अलेहे वस्सल्लम की खातिर भेज गया था लिहाज़ा जाओ और जब तक उनसे इज़ाज़त न ले लो वापस न आना ..!
तो इस वजह से जिब्रील अलैहिस्सलाम मेरे पास आये थे और उस वक़्त हम नमाज अदा कर रहे थे तो मैं नमाज में बोल नहीं सकता था इसलिए मुस्कुरा कर उन्हें इज़ाज़त दी की हा अब तुम सभी जा सकते हो .. |
सुब्हान अल्लाह क्या मुक़ाम हे हमारे आक़ा हज़रत मोहम्मद सल्ललाहो अलेहे वसल्लम का....


सबक 



313 SAHABI VS 1000 KUFFAR


जंगे बद्र में सिर्फ़ 313 अफ़राद, 70 ऊंट, 3 घोड़े, 8 तलवारे और 6 ज़िरह थी।
जबकि लश्करे कुफ़्फ़ार के पास 1000 अफ़राद, 700 ऊंट, 100 घोड़े, 950 तलवारे और 950 ज़िरह थी ।
एक नज़र जंगे बद्र पर डालिए और अपने वजूद पर ग़ौर व फ़िक्र करिये कि आज हमारे पास किस चीज़ की कमी है? हम कहाँ कमज़ोर हैं।

(1) कुफ़्फ़ार के लश्कर में खाने पीने का सामान बड़ी कसरत से था रोजाना 11 ऊंट ज़िबह करके खाते थे जबकि इस्लामी लश्कर में ज़ादे राह की यह हालत थी कि किसी के पास 7 तो किसी के पास 2 खजूरे थी
आज हमारे पास क्या नहीं है? बताइये! महीने भर का राशन भरा रहता है और पैसे एक्सट्रा रखे रहते है फिर भी हर जगह बेबस* है मारे काटे जलाए जा रहे है पता है क्यों? *क्योंकि मुसलमान दीन से भटक रहा है अल्लाह पर से तवक्कुल* हट रहा है 2 कौड़ी की चमचागिरी* में लगा है। अपना ईमान बेच रहा है।

(2) कुफ़्फ़ार के लश्कर में ऐश व इशरत का सामान भी काफ़ी तादाद में था यहाँ तक कि किसी पानी के किनारे पड़ाव करते तो ख़ैमे लगाते और उनके साथ गाने वाली तवाएफ़ें थी जबकि मुसलमानों के पास एक ख़ैमा तक नहीं था। सहाबा ए किराम ने खजूर के पत्तों और टहनीयों से एक झोंपड़ी तैयार करके हजूरे अकदस नबी ए करीम ﷺ को उसमें ठहराया आज उस जगह मस्जिद बनी हुई है।
नतीजा कुफ़्फ़ार के लश्कर से 70 आदमी कत्ल हुए जिनमें अबू जहल भी था 70 आदमी कैद हुए और इस्लामी लश्कर में 14 शहीद हुए और फ़तह मिली।


ऐ उम्मते मुस्लिमा अपने आमाल दुरूस्त कर! और आने वाले वक्त के लिए अपनी नस्लों को तैयार कर क्योंकि अब शरीयत पर हमला हो रहा है आगे और भी बहुत कुछ होने वाला है इसलिए अपनी घर की औरतों की हिफ़ाज़त करने की फ़िक्र के बजाए घर की औरतों को दीनी किताबें पड़ने को कहिये, टीवी सीरियल और बाॅलीउड़ की बेहुदा हवस की फ़िल्मों से दूर कर, घर से केबल की लानत से अपनी और अपनी नस्ल की हिफ़ाज़त कर ताकि वह इस्लाम को समझे और अपनी औलाद को फ़ौलादी बनाए।
लब्बैक या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम*