HAZRAT ABU BAKR SIDDIQUE RADIALLAU TA'ALA ANHU



सिद्दीक़े अकबर​ ( रज़ियल्लाहु अन्हु )
नाम​- अब्दुल्लाह
लक़ब​- सिद्दीक़े अकबर
वालिद​- अबु कहाफा
वालिदा​- सलमा बिन्त सखर
​विलादत​- हुज़ूर की विलादत से 26 महीने बाद
विसाल​- 22/6/13 हिजरी


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HAZRAT ABU BAKR SIDDIQUE RADIALLAU TA'ALA ANHU

​आपकी सीरत एक पोस्ट में बता पाना नामुमकिन है मगर हुसूले फैज़ के लिए चंद हर्फ आपकी शान में लिखता हूं मौला तआला क़ुबूल फरमाये​| 

➤ हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि नबियों के बाद तमाम इंसानों में सबसे अफज़ल अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु हैं| 

➤आपका नस्ब युं है अब्दुल्लाह बिन अबु कहाफा बिन उस्मान बिन आमिर बिन उमर बिन कअब बिन सअद बिन तय्युम बिन मुर्राह बिन कअब,मुर्राह बिन कअब पर आपका नस्ब हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम से जाकर मिल जाता है|. 

➤आपके बारे में मशहूर है कि आपने ज़मानये जाहिलियत में भी कभी बुत परस्ती नहीं की और ना कभी शराब पी,जब आप 4 साल के थे तो आपके बाप आपको लेकर अपने बुतों के सामने गए और उनसे कहा कि ये हमारे माबूद हैं तुम इनकी पूजा करो तो 4 साल के सिद्दीक़े अकबर उन बुतों से फरमाते हैं कि मैं भूखा हूं मुझे खाना दो मैं कुछ कहना चाहता हूं मुझसे बात करो जब उधर से कुछ जवाब नहीं आया तो आपने एक पत्थर उठाकर उस बुत पर ऐसा मारा कि वो आपके जलाल का ताब ना ला सका और चकना चूर हो गया,जब आपके बाप ने ये देखा तो आपको तमांचा मारा और घर वापस ले आये,और अपनी बीवी से सारा वाक़िया कह सुनाया तो वो फरमाती हैं कि इसे इसके हाल पर छोड़ दीजिये जब ये पैदा हुआ था तो किसी आवाज़ देने वाले ने ये कहा कि मुबारक हो तुझे कि ये ​मुहम्मद​ सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम का रफीक़ है मुझे नहीं मालूम कि ये ​मुहम्मद​ सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम कौन हैं| 

➤मर्दो में सबसे पहले आप ईमान लाये और सबसे पहले हुज़ूर के साथ नमाज़ पढ़ने का शर्फ आपको मिला

➤आपने दो मर्तबा अपनी पूरी दौलत हुज़ूर के क़दमो पर डाल दी| 

➤आपका लक़ब सिद्दीक़ होने का बड़ा मशहूर वाक़िया है कि जब हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम मेराज शरीफ से वापस आये और ये वाक़िया लोगों में बयान किया तो अबु जहल भागता हुआ अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के पास पहुंचा और कहने लगा कि अगर कोई कहे कि मैं हालाते बेदारी में रात ही रात सातों आसमान की सैर कर आया जन्नत दोज़ख देख आया खुदा से भी मिल आया तो क्या तुम यक़ीन करोगे आपने फरमाया कि नहीं,तो कहने लगा कि जिसका तुम कल्मा पढ़ते हो वो ​मुहम्मद​ सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम तो लोगों से यही कह रहे हैं तो आपने फरमाया कि क्या वाकई वो ऐसा कहते हैं तो अबु जहल बोला कि हां वो ऐसा ही कहते हैं तो आप फरमाते हैं कि जब वो ऐसा कहते हैं तो सच ही फरमाते हैं अब जब आपने उस वाक़िये की तस्दीक़ की तो वो मरदूद वहां से भाग निकला और उसी दिन से आपको सिद्दीक़ का खिताब मिला| 

➤आपने हुज़ूर की मौजूदगी में 17 नमाज़ों की इमामत फरमाई| 

➤आपके खलीफा बनने पर सबसे पहले हज़रते उमर फारूक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने आपकी बैयत की| 

जब आपने तमाम माल लुटा दिया तो फक़ीराना लिबास में बारगाहे नबवी में हाज़िर थे कि हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम हाज़िर हुए और कहा कि ऐ सिद्दीक़ आप मालदार होते हुए भी ऐसे कपड़ो में क्यों है तो हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि उन्होंने अपना पूरा माल दीने इस्लाम पर खर्च कर दिया तो हज़रत जिब्रील फरमाते हैं कि अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने अबु बक्र को सलाम भेजा है और पूछा है कि क्या इस हालत में भी अबु बक्र मुझसे राज़ी हैं इतना सुनते ही हज़रते अबु बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु वज्द में आ गए और बा आवाज़े बुलंद यही फरमाते रहे कि मैं अपने रब से राज़ी हूं मैं अपने रब से राज़ी हूं,अल्लाह अल्लाह क्या शान है सिद्दीक़े अकबर की कि खुद मौला उनसे पूछ रहा है कि क्या तुम मुझसे राज़ी हो अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर| 

➤आप वो मुक़द्दस सहाबी हुए जिनकी 4 पुश्तें सहाबियत से सरफराज़ हैं,आपके वालिदैन ईमान लाये और सहाबी हुए आप खुद सहाबी हुए आपकी औलाद में मुहम्मद व अब्दुल्लाह व अब्दुर्रहमान व सय्यदना आयशा व सय्यदना अस्मा सब के सब सहाबी हुए और आपके पोते मुहम्मद बिन अब्दुर्रहमान भी सहाबी हुए,ये फज़ीलत आपके सिवा किसी को हासिल नहीं,रिज़वानुल्लाहि तआला अलैहिम अजमईन| 

➤आपका और मौला अली का हालते जनाबत में भी मस्जिद में जाना जायज़ था| 

➤2 साल 3 महीने 11 दिन आपकी खिलाफत रही| 

➤आपसे कई करामतें भी ज़ाहिर हैं,जब आपका विसाल होने लगा तो आपने अपनी प्यारी बेटी सय्यदना आयशा सिद्दीक़ा रज़ियल्लाहु तआला अंहा को बुलाया और फरमाया कि बेटी मेरा जो भी माल है उसे तुम्हारे दोनों भाई मुहम्मद व अब्दुर्रहमान और तुम्हारी दोनों बहनें हैं उनका हिस्सा क़ुर्आन के मुताबिक बाट देना,इस पर आप फरमाती हैं कि अब्बा जान मेरी तो एक ही बहन है बीबी अस्मा ये दूसरी बहन कौन है तो आप फरमाते हैं कि मेरी एक बीवी बिन्त खारेजा जो कि हामिला हैं उनके बतन में एक लड़की है वो तुम्हारी दूसरी बहन है,और आपके विसाल के बाद ऐसा ही हुआ उनका नाम उम्मे कुलसुम रखा गया,इसमें आपकी 2 करामत ज़ाहिर हुई पहली तो ये कि मैं इसी मर्ज़ में इन्तेक़ाल कर जाऊंगा और दूसरी ये भी कि पैदा होने से पहले ही बता देना कि लड़का है या लड़की|
➤आपकी उम्र 63 साल हुई आपकी नमाज़े जनाज़ा हज़रते उमर फारूक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने पढ़ाई और खुद हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम की इजाज़त से आपको उन्ही के पहलु में दफ्न किया गया,ये आपकी शानो अज़मत है| 

➤आपकी शान को समझने के लिए ये तन्हा हदीस ही काफी है हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि अगर एक पलड़े में अबु बक्र का ईमान रखा जाए और दूसरे में तमाम जहान वालो का तो सिद्दीक़ का पलड़ा सबसे भारी होगा,अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर,ज़रा सोचिये कि दूसरे पलड़े में तमाम जहान वालों से कौन कौन मुराद हैं अगर अम्बिया के ईमान को मुस्तसना कर भी दिया जाए तब भी क्या ये कम है कि उसी एक पलड़े में उमर फारूक़ का ईमान उस्मान ग़नी का ईमान मौला अली का ईमान तमाम 124000 सहाबा का ईमान फिर तमाम ताबईन का ईमान,इमामे आज़म इमाम शाफई इमाम मालिक इमाम अहमद बिन हम्बल का ईमान,फिर दुनिया भर के औलियाये कामेलीन का ईमान,हुज़ूर ग़ौसे पाक का ईमान,ख्वाजा ग़रीब नवाज़ का ईमान,आलाहज़रत अज़ीमुल बरक़त का ईमान और क़यामत तक के पैदा होने वाले तमाम औलिया व अब्दाल व तमाम मुसलेमीन का ईमान,सब एक ही पलड़े में और दूसरे में सिर्फ अबु बक्र का ईमान फिर भी अबु बक्र का ईमान सब पर भारी,या अल्लाह कैसा ईमान था उनका ​मौला से दुआ है कि अपने उसी बन्दे के ईमान का एक ज़र्रा हम तमाम सुन्नी मुसलमानों को नवाज़ दे ताकि हमारी दुनिया और आखिरत दोनों कामयाब हो जाये आमीन आमीन आमीन या रब्बुल आलमीन बिजाहिस सय्यदिल मुरसलीन सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम​| 

📕 तारीखुल खुल्फा,सफह 90--137
📕 शाने सहाबा,सफह 80--94
📕 मदरेजुन नुबूवत,जिल्द 2,सफह 914
📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 2,सफह 547