हज़रत नूह अलैहिस्सलाम Biography Of Hazrat Nooh Alaihissalam


Biography Of Hazrat Nooh Alaihissalam:

जब हज़रत इदरीस अलैहिस्सलाम ने आसमान में कियाम किया तो दुनियां में फिर गुमराही और नाफरमानी भर गई, गुनाह के काम खूब होने लगे फिर अल्लाह तआला ने हज़रत नूह अलैहिस्सलाम को नबी बनाकर भेजा।

📚 क़ससुल अंबिया

हज़रत नूह अलैहिस्सलाम का नाम अब्दुल ग़फ्फार या अब्दुल जब्बार है और नूह यानि बहुत रोने वाला लक़ब इस लिए हुआ कि आप अपनी उम्मत के गुनाहों पर बहुत रोये हैं,आपके वालिद का नाम लमक और वालिदा का नाम सहमा था और दादा का नाम मतुशल्ख है,आप हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के विसाल के 126 साल बाद पैदा हुए

📕 अलइतकान,जिल्द 2,सफह 175-179

📕 हयातुल हैवान,जिल्द 1,सफह 11

* आपकी काफिर बीवी का नाम वाइला और काफिर बेटे का नाम कुंआन था 

📕 तफसीरे खज़ाएनुल इरफान,सफह 270

* काफिरों की तरफ सबसे पहले तब्लीग़ के लिए आप ही को भेजा गया

📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 3,सफह 348

* आपने अपनी क़ौम को 950 साल तक तब्लीग़ फरमाई मगर चन्द अफराद को छोड़कर पूरी कौम अपने कुफ्र पर क़ायम रही जिस पर आपने उनके लिए बद्दुआ कर दी और पूरी क़ौम तूफाने नूह में गर्क हो गई 

📕 तफसीरे खाज़िन,जिल्द 5,सफह 157

* सबसे पहले चमड़े का जूता आपने ही पहना 

📕 मिरआतुल मनाजीह,जिल्द 6,सफह 141

* सबसे पहले आपने ही उम्मत को दज्जाल के अज़ाब से डराया 

📕 मिश्कात,जिल्द 2,सफह 473

* बुतपरस्ती की शुरुआत हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की उम्मत में ही हुई,वाक़िया ये हुआ कि आपकी उम्मत के 5 नेक लोग जिनका नाम वुद,सुवा,यग़ूस,यऊक़ और नस्र था,जब इनका इन्तेक़ाल हो गया तो इनकी औलाद को बहुत रंज हुआ मौक़ा देखकर इब्लीस उन लोगों के पास गया और कहने लगा कि अगर मैं एक रास्ता बताऊं तो तुम्हारा ग़म कुछ हल्का हो सकता है,उन्होंने हामी भरी तो इस मरदूद ने उन पांचो के बुत बना दिए शुरू शुरू में सिर्फ उन बुतों को देखकर ही घर वाले तसल्लियां कर लेते थे मगर बाद में आने वालों ने उनकी पूजा करनी शुरू कर दी,इसी लिए इस्लाम में जानदार की तस्वीर हराम फरमाई गई 

📕 अहकामे तस्वीर,सफह 9

* तूफाने नूह से पहले अल्लाह ने इब्तिदाई तौर पर उन पर बारिश बंद कर दी और और उनकी औरतों को बांझ कर दिया,जब वो इसकी शिकायत लेकर हज़रत नूह अलैहिस्सलाम के पास पहुंचे तो आप फरमाते हैं कि अल्लाह से माफी मांगो वो तुम्हारी सारी मुश्किल आसान कर देगा जिस पर क़ौम नहीं मानी

एक मर्तबा हज़रत इमाम हसन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के पास चन्द लोग अपनी परेशानी लेकर हाज़िर हुए उसमें से एक ने सूखे की शिकायत की आपने फरमाया कि अस्तग़फ़ार करो , दूसरा बोला कि मैं गरीब हूं तो आपने फरमाया कि अस्तग़्फार करो, तीसरे ने औलाद ना होने की शिकायत की तो आपने फरमाया कि अस्तग़्फार करो फिर चौथा ज़मीन से कम पैदावार की अर्ज़ लेकर आया तो फरमाया कि अस्तग़्फार करो,हाज़ेरीन ने कहा कि ऐ इमाम परेशानी सबकी जुदा जुदा है और आप हल सबका एक ही फरमा रहे हैं इसकी क्या वजह है तो आप फरमाते हैं कि जब हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की क़ौम अपनी जुदा जुदा मुश्किल को लेकर उनकी बारगाह में हाज़िर हुई तो आपने तमाम मुश्किलों का एक ही हल बताया था कि खुदा से माफी मांगो और ये क़ुरान से साबित है,तो हर मुश्किल का हल खुदा की बारगाह में तौबा करने से हासिल हो जायेगा 

📕 तज़किरातुल अम्बिया,सफह 69

* आपको क़ौम ने माज़ अल्लाह गुमराह झूटा व मजनून कहा मगर आप उनके लिए हिदायत की दुआ ही करते रहे मगर जब अल्लाह ने आप पर वही फरमाई कि अब तुम्हारी क़ौम से कोई मुसलमान ना होगा मगर जितने ईमान ला चुके तब आपने उनके लिए हलाक़त की दुआ की तो मौला ने आपको कश्ती बनाने का हुक्म दिया 

📕 तज़किरातुल अम्बिया,सफह 71

* कश्ती बनाने में मदद के लिए हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम हाज़िर हुए और 2 सालों में कश्ती बनकर तैयार हुई 

📕 तफसीरे सावी,जिल्द 2,सफह 72

* ये कश्ती साल की लकड़ी से बनाई गई जिसकी लंबाई 900 फिट चौड़ाई 150 फिट और ऊंचाई 90 फिट थी और इसमें 3 दर्जे थे सबसे नीचे वाले दर्जे में जंगली जानवर जैसे शेर चीता सांप बिच्छू वगैरह थे बीच वाले में पालतू जानवर थे और सबसे ऊपर वाले हिस्से में हज़रत नूह अलैहिस्सलाम मय ईमान वालों और खाने पीने की चीज़ के साथ सवार हुए 

📕 खज़ाएनुल इरफान,सफह 269

* कश्ती में कुल 80 लोग सवार हुए जिनमे 3 आपके बेटे साम, हाम और याफिस और 3 उनकी बीवियां, खुद हज़रत नूह अलैहिस्सलाम और उनकी एक मोमिना बीवी, हज़रत आदम अलैहिस्सलाम का जस्द मुबारक जो कि ताबूत में था और आपके काफिर बेटे की बीवी जो कि मोमिना थी और 70 मुसलमान मर्दो औरत 

📕 अलमलफूज़,हिस्सा 1,सफह 64

📕 तज़किरातुल अम्बिया,सफह 71

* ये कश्ती मस्जिदे कूफा के पास बनाई गई 

📕 जलालैन,हाशिया,4,सफह 183

* ये कश्ती 124000 और 4 तख्तों से बनी कि हर तख्ते पर एक नबी का नाम लिखा होता था और 4 तख्तों पर चारों खुल्फा का नाम दर्ज था,इस रिवायत में इख्तिलाफ हो सकता है इसलिए कि अम्बिया इकराम की तादाद मुतअय्यन करना हरगिज़ जायज़ नहीं 

📕 नुज़हतुल मजालिस,5,सफह 34

चुंकि जहां ये कश्ती बनायी गई उस जगह पानी का नामो निशान तक ना था लिहाज़ा काफिर, हज़रत नूह अलैहिस्सलाम को कश्ती बनाता देखकर उनका मजाक उड़ाया करते थे फिर जब तूफान का वक़्त आया तो मौला ने हज़रत नूह अलैहिस्सलाम को बता दिया कि जब तन्नूर से पानी उबलना शुरू हो जाए तो कश्ती में सवार हो जाना कि वही इब्तिदा होगी,ये तन्नूर आम तन्नूर था जिसमे औरतें रोटियां पकाया करती थीं

📕 तज़किरातुल अम्बिया,सफह 73 

* हज़रत नूह अलैहिस्सलाम दिन भर कश्ती बनाते और आपकी क़ौम रात को आकर वो कश्ती खराब करके चली जाती तब आपने बाहुकमे खुदावन्दी कुत्ते को रात भर जागकर पहरेदारी के लिए मुकर्रर किया 

📕 हयातुल हैवान,जिल्द 2,सफह 306

* तूफान की शुरुआत 1 रजब को हुई और 10 रजब को कश्ती पानी में तैरने लगी और पूरे 6 महीने ज़मीन का गर्दिश करने के बाद 10 मुहर्रम को जूदी पहाड़ पर जाकर रुकी,पूरी ज़मीन पर इस क़दर पानी जमा हो गया था कि ज़मीन के सबसे ऊंचे पहाड़ से भी 30 हाथ ऊपर पानी था 

📕 अलमलफूज़,हिस्सा 1,सफह 64

* 40 दिन तक लगातार ज़मीन से पानी निकलता रहा और आसमान से भी बरसता रहा 

📕 खज़ायेनुल इरफान,सफह 270

* पानी का हर कतरा जो आसमान से गिरता वो एक मशक के बराबर होता 

📕 माअरेजुन नुबूवत,जिल्द 1,सफह 74

* कश्ती में जानवरों में सबसे पहले सवार होने वाला तोता या मुर्गाबी है और सबसे आखिर में गधा और इब्लीस लईन गधे की दुम पकड़कर ही कश्ती में सवार हुआ 

📕 अलबिदाया वननिहाया,जिल्द 1,सफह 111

* जब सांप और बिच्छु कश्ती में सवार होने लगे तो आपने मना फरमा दिया जिस पर वो अर्ज़ करते हैं कि हमें सवार कर लीजिये मगर जो शख्स "सलामुन अला नूहे फिल आलमीन" पढ़ेगा तो हम उसे नुक्सान नहीं पहुंचायेंगे 

📕 नुज़हतुल मजालिस,3,सफह 50

* कश्तिये नूह में कुछ जानवरों की पैदाईश बताई जाती है जो कि इस तरह है जब कश्ती में जानवरों ने गोबर वग़ैरह करना शुरू किया तो कश्ती बदबू से भर गयी लोगों ने हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की बारगाह में शिकायत की तो मौला ने फरमाया कि हाथी की दुम हिलाओ जब आपने ऐसा किया तो 2 सुअर नर और मादा बरामद हुए और नजासत खाने लगे,इब्लीस को मौक़ा मिला और उसने सुअर के पेशानी पर हाथ फेरा तो 2 चुहे नर व मादा पैदा हुए जिन्होंने कश्ती को कुतरना शुरू कर दिया,जब हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने देखा तो खुदा की बारगाह में अर्ज़ किया तो मौला फरमाता है कि तुम शेर की पेशानी पर अपना हाथ फेरो जब उन्होंने ऐसा किया तो शेर को छींक आई और बिल्ली का जोड़ा निकला जिससे कि चूहे दुबक कर बैठ गये 

📕 माअरेजुन नुबूवत,जिल्द 1,सफह 75 

📕 तफसीर इबने कसीर,पारा 12,रुकू 4 

📕 अजायबुल हैवानात,सफह 20

* जब कश्ती में तमाम जानवरों के साथ शेर सवार हुआ तो सारे जानवर दहशत में आ गए तो मौला ने शेर को बुखार में जकड़ दिया,ये पहला जानवर है जो बीमार हुआ 

📕 अलबिदाया वननिहाया,जिल्द 1,सफह 111

* जब हज़रत आदम अलैहिस्सलाम जन्नत से तशरीफ लाये थे तो दुनिया में दो ही जानवर थे पानी में मछली और खुश्की में टिड्डी,बाकी सारे जानवर दुनिया में ही ज़रूरत के हिसाब से पैदा होते रहे 

📕 हयातुल हैवान,सफह 478

* तूफाने नूह के बाद सबसे पहले जो शहर बसाया गया उसका नाम "सौकुस समानीन" रखा गया ये जब्ले निहावंद के क़रीब है 

📕 अलमलफूज़,हिस्सा 1,सफह 65

* तूफाने नूह के बाद सबसे पहले ज़ैतून का दरख्त उगा 

📕 जलालैन,हाशिया 6,सफह 299

* कश्ती से उतरने के बाद लोग 80 ज़बानों में बात करने लगे इसलिए इसको बाबुल यानि इख्तिलाफ की जगह कहा गया 

📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 1,सफह 682

* आशूरा के दिन जो खिचड़ा पकाया जाता है और उसकी निस्बत शुहदाये कर्बला की तरफ करते हैं ये गलत है बल्कि हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की कश्ती जब जूदी पहाड़ पर आकर रुकी तो वो दिन दसवीं मुहर्रम का ही था,आपने तमाम लोगों से खाने पीने की चीज़ को इकठ्ठा करने को कहा तो उसमें मटर,गेंहू,जौ,मसूर,चना,चांवल और प्याज़ ये 7 अशिया ही पायी गई,तो आपने उन सबको इकठ्ठा करके एक ही हांडी में पकाया और उसको "तिब्यखुल हुबूब" का नाम दिया जो आज खिचड़े के नाम से जाना जाता है 

📕 फातिहा का सुबूत,सफह 12

* तूफाने नूह में आपका एक काफिर बेटा और काफिरा बीवी भी हलाक हुई,ख्याल रहे कि कुफ्र काफिरों की नज़र में ऐब नहीं समझा जाता वो इसे अपना मज़हब जानते हैं मगर ज़िना या इस तरह के और भी बुरे काम हर मज़हब में बुरे व ऐब समझे जाते हैं तो अम्बिया इकराम की बीवियां ज़िना जैसे ऐबों से पाक हैं मगर कुफ्र पाया जा सकता है,अब कुछ को ईमान नसीब होता है जैसे कि हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम की बीवी हज़रते ज़ुलेखा और हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम की बीवी हज़रते बिलक़ीस को ईमान नसीब हुआ और कुछ को ईमान नहीं मिलता जैसा कि यहीं आपने पढ़ा और हज़रत लूत अलैहिस्सलाम की बीवी भी कुफ्र पर मरी,यहां ये भी ख्याल रहे कि एक ही अज़ाब किसी पर सजा होता है तो किसी पर 

नहीं मतलब ये कि तूफाने नूह में सिर्फ वही लोग बचें जो कि कश्ती में सवार थे और बहुत सारे इंसान और जानवर हलाक हो गए मगर ये हलाकत इंसानों के लिए अज़ाब थी और जानवरों के लिए नहीं,जैसे कि जहन्नम में बहुत सारे सांप बिच्छु और फरिश्ते अज़ाब देने के लिए होंगे मगर खुद उनको कोई तकलीफ ना होगी 

📕 तज़किरातुल अम्बिया,सफह 76

* आपकी उम्र 1600 साल हुई और तमाम नस्ले इंसानी आपके ही बेटों से चली बाकी जो भी मुसलमान बचे थे उनमें से किसी की भी नस्ल आगे ना बढ़ी

📕 अलमलफूज़,हिस्सा 1,सफह 65

* आपकी क़ब्र मस्जिदे हराम में है और यही राजेह है 

📕 अलबिदाया वननिहाया,जिल्द 1,सफह 120

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Hazrat nooh Alaihissalam KA naam abdul gaffar ya abdul jabbar hai aur nooh yaani bahut rone waala laqab is liye huwa ki aap apni ummat ke gunahon par bahut roye hain,aapke waalid ka naam lamak aur waalida ka naam samha tha aur daada ka naam matushalkh hai,aap hazrat aadam alaihissalam ke wisaal ke 126 saal baad paida hue

📕 Alitqaan,jild 2,safah 175-179

📕 Hayatul haiwan,jild 1,safah 11

Aapki kaafira biwi ka naam waaela tha aur kaafir bete ka naam kunaan tha

📕 Tafseere khazayenul irfan,safah 270

Kaafiron ki taraf sabse pahle tableeg ke liye aap hi ko bheja gaya

📕 Tafseere nayimi,jild 3,safah 348 

Aapne apni qaum ko 950 saal tak tableeg farmayi magar chund afraad ko chhodkar poori qaum apne kufr par qaayam rahi jispar aapne unke liye baddua kar di aur poori qaum toofane nooh me gark ho gayi

📕 Tafseere khaazin,jild 5,safah 157

 Sabse pahle chamde ka joota aapne pahna

📕 Miratul manajeeh,jild 6,safah 141

Sabse pahle aapne hi ummat ko dajjal ke azaab se daraaya

📕 Mishkat,jild 2,safah 473

 Butparasti ki shuruaat hazrat nooh alaihissalam ki ummat me hi huyi,waaqiya ye hua ki aapki ummat ke 5 neik log jinka naam wud,suwaa,yagoos,yaooq aur nasr tha,jab inka inteqaal ho gaya to inki aulaad ko bahut ranj hua mauqa dekhkar iblees un logon ke paas gaya aur kahne laga ki agar main ek raasta bataoon to tumhara ghum kuchh halka ho sakta hai,unhone haami bhari to is mardood ne un paanchon ke butt bana diye shuru shuru me sirf un buton ko dekhkar hi ghar waale tasalliya kar lete the magar baad me aane waalon ne unki pooja karni shuru kar di,isi liye islaam me jaandar ki tasweer haraam farmayi gayi

📕 Ahkaame tasweer,safah 9

Toofane nooh se pahle ALLAH ne ibtidayi taur par unpar baarish band kar di aur aur unki aurton ko baanjh kar diya,jab wo iski shikayat lekar hazrat nooh alaihissalam ke paas pahunche to aap farmate hain ki apne rub se maafi maango wo tumhari saari mushkil aasan kar dega jispar qaum nahin maani

ek martaba hazrat imaam hasan raziyallahu taala anhu ke paas chund log apni pareshani lekar haazir hue usme se ek ne sookhe ki shikayat ki aapne farmaya ki astagfaar karo doosra bola ki main gareeb hoon to aapne farmaya ki astagfaar karo teesre ne aulaad na hone ki shikayat ki to aapne farmaya ki astagfaar karo fir chautha zameen se kam paidawaar ki arz lekar aaya to farmaya ki astagfaar karo,haazereen ne kaha ki ai imaam pareshaani sabki juda juda hai aur aap hal sabka ek hi farma rahe hain iski kya wajah hai to aap farmate hain ki jab hazrat nooh alaihissalam ki qaum apni juda juda mushkil ko lekar unki baargah me haazir huyi to aapne tamam mushkilo ka ek hi hal bataya tha ki khuda se maafi maango aur ye quran se saabit hai,to har mushkil ka hal khuda ki baargah me tauba karne se haasil ho jayega

📕 Tazkiratul ambiya,safah 69

Aapko qaum ne maaz ALLAH gumrah jhootha wa majnoon kaha magar aap unke liye hidayat ki dua hi karte rahe magar jab ALLAH ne aap par wahi farmayi ki ab tumhari qaum se koi musalman na hoga magar jitne imaan la chuke to aapne unke liye halaqat ki dua ki to maula ne aapko kashti banane ka hukm diya

📕 Tazkiratul ambiya,safah 71

Kashti banane me madad ke liye hazrat jibreel alaihissalam haazir hue aur 2 saalon me kashti bankar taiyar huyi

📕 Tafseere saavi,jild 2,safah 72

Ye kashti saal ki lakdi se banayi gayi jiski lambayi 900 fitt chuadayi 150 fitt aur oonchayi 90 fitt thi aur isme 3 darje the sabse neeche waale darje me jungli jaanwar jaise sher chheta saamp bichchho wagairah the beech waale me paaltu jaanwar the aur sabse oopar waale hisse me hazrat nooh alaihissalam maye imaan waalon aur khaane peene ki cheez ke saath sawaar hue 

📕 Khazayenul irfan,safah 269

Kashti me kul 80 log sawaar hue jinme 3 aapke bete saam haam aur yaafis aur 3 unki biwiyan khud hazrat nooh alaihissalam aur unki ek momin biwi hazrat aadam alaihissalam ka jasd mubarak jo ki taboot me tha aur aapke kaafir bete ki biwi jo ki momina thi aur 70 musalman mardo aurat

📕 Almalfooz,hissa 1,safah 64

📕 Tazkiratul ambiya,safah 72

Ye kashti masjide koofa ke paas banayi gayi

📕 Jalalain,hashiya,4,safah 183

Ye kashti 124000 aur 4 takhton se bani ki har takhte par ek nabi ka naam likha hota tha aur 4 takhton par charon khulfa ka naam darj tha,is riwayat me ikhtilaaf ho sakta hai isliye ki ambiya ikram ki taadad mutayyan karna hargiz jayaz nahin 

📕 Nuzhatul majalis,5,safah 34

Chunki jahan ye kashti banayi gayi us jagah paani ka naamo nishaan tak na tha lihaza kaafir hazrat nooh alaihissalam ko kashti banata dekhkar unka mazaaq udaya karte the fir jab toofan ka waqt aaya to maula ne hazrat nooh alaihissalam ko bata diya ki jab tannoor se paani ubalna shuru ho jaaye to kashti me sawaar ho jaana ki wahi ibtida hogi,ye tannoor aam tannoor tha jisme aurtein rotiyan pakaya karti thin

📕 Tazkiratul ambiya,safah 73

Hazrat nooh alaihissalam din bhar kashti banaate aur aapki qaum raat ko aakar wo kashti kharaab karke chali jaati tab aapne bahukme khudawandi kutte ko raat bhar jaagkar pahredaari ke liye muqarrar kiya

📕 Hayatul haiwan,jild 2,safah 306

Toofan ki shuruaat 1 rajab ko huyi aur 10 rajab ko kashti paani me tairne lagi aur poore 6 mahine zameen ka gardish karne ke baad 10 muharram ko joodi pahaad par jaakar ruki,poori zameen par is qadar paani jama ho gaya tha ki zameen ke sabse oonche pahaad se bhi 30 haath oopar paani tha

📕 Almalfooz,hissa 1,safah 64

40 din tak lagaatar zameen se paani nikalta raha aur aasman se bhi barasta raha

📕 Khazayenul irfan,safah 270

Paani ka har qatra jo aasman se girta wo ek mashak ke barabar hota

📕 Maarejun nubuwat,jild 1,safah 74

Kashti me jaanwaro me sabse pahle sawaar hone waalo me tota ya murgaabi hai aur sabse aakhir me gadha,aur iblees layeen gadhe ki dum pakadkar kashti me sawaar hua

📕 Albidaya wannihaya,jild 1,safah 111

Jab saamp aur bicchho kashti me sawaar hone lage to aapne mana farma diya jispar wo arz karte hain ki hamein sawaar kar lijiye magar jo shakhs "SALAAMUN ALA NOOHE FIL AALAMEEN" padhega to hum use nuksaan nahin pahuchayge

📕 Nuzhatul majalis,3,safah 50

Kashtiye nooh me kuchh jaanwaro ki paidayish batayi jaati hai jo ki is tarah hai jab kashti me jaanwaro ne gobar wagairah karna shuru kiya to kashti badbu se bhar gayi logon ne hazrat nooh alaihissalam ki baargah me shikayat ki to maula ne farmaya ki haathi ki dum hilao jab aapne aisa kiya to 2 suwar nar aur maada baramad hue aur najasat khaane lage,iblees ko mauqa mila aur usne suwar ke peshani par haath fera to to 2 chuhe nar wa maada paida hue jinhone kashti ko kutarna shuru kar diya,jab hazrat nooh alaihissalam ne dekha to khuda ki baargah me arz kiya to maula farmata hai ki tum sher ki peshani par apna haath fero jab unhone aisa kiya to sher ko chheenk aayi aur billi ka joda nikla jisse ki chuhe dubak kar baith gaye

📕 Maarejun nubuwat,jild 1,safah 75

📕 Tafseer ibne kaseer,para 12,ruku 4

📕 Ajaaybul haiwanaat,safah 20

 Jab kashti me tamam jaanwaro ke saath sher sawaar hua to saare jaanwar dahshat me aa gaye to maula ne sher ko bukhaar me jakad diya,ye pahla jaanwar hai jo beemar hua

📕 Albidaya wannihaya,jild 1,safah 111

Jab hazrat aadam alaihissalam jannat se tashreef laaye the to duniya me do hi jaanwar the paani me machhli aur khushki me tiddi,baaki saare jaanwar duniya me hi zarurat ke hisaab se paida hote rahe

📕 Hayatul haiwaan,safah 478

Toofane nooh ke baad sabse pahle jo shahar basaya gaya uska naam sauqus samaneen rakha gaya ye jable nihawand ke qareeb hai

📕 Almalfooz,hissa 1,safah 65

Toofane nooh ke baad sabse pahle zaitoon ka darakht uga

📕 jalalain,haashia 6,safah 299

Kashti se utarne ke baad log 80 zabanon me baat karne lage isliye isko baabul yaani ikhtilaaf ki jagah kaha gaya

📕 Tafseere nayimi,jild 1,safah 682

Aashura ke din jo khichda pakaaya jaata hai aur uski nisbat shuhdaye karbala ki taraf karte hain ye galat hai balki hazrat nooh alaihissalam ki kashti jab joodi pahaad par aakar ruki to wo din daswin muharram ka hi tha,aapne tamam logon se khaane peene ki cheez ko ikattha karne ko kaha to usme matar,gehu,jau,masoor,chana,chaanwal aur pyaaz ye 7 ashiya hi paayi gayi,to aapne un sabko ikattha karke ek hi haandi me pakaaya aur usko TIBYAKHUL HUBOOB ka naam diya jo aaj khichde ke naam se jaana jaata hai

📕 Faatiha ka suboot,safah 12

Toofane nooh me aapka ek kaafir beta aur kaafira biwi bhi halaak huyi,khayal rahe ki kufr kaafiron ki nazar me aib nahin samjha jaata wo ise apna mazhab jaante hain magar zina ya is tarah ke aur bhi bure kaam har mazhab me bure wa aib samjhe jaate hain to ambiya ikraam ki biwiyan zina jaise aibon se paak hain magar kufr paaya ja sakta hai,ab kuchh ko imaan naseeb hota hai jaise ki hazrat yusuf alaihissalam ki biwi hazrate zulekha aur hazrat suleman alaihissalam ki biwi hazrate bilqees ko imaan naseeb hua aur kuchh ko imaan nahin milta jaise ki yahin aapne padha aur hazrat loot alaihissalam ki biwi bhi kufr mar mari,yahan ye bhi khayal rahe ki ek hi azaab kisi par saza hoti hai to kisi par nahin matlab ye ki toofane nooh me sirf wahi log bachen jo ki kashti me sawaar the aur bahut saare insaan aur jaanwar halaak ho gaye magar ye halakat insaano ke liye azaab thi aur jaanwaro ke liye nahin,jaise ki jahannam me bahut saare saamp bichchhu aur farishte azaab dene ke liye honge magar khud unko koi taqleef na hogi

📕 Tazkiratul ambiya,safah 76

Aapki umr 1600 saal huyi aur tamam nasle insaani aapke hi beton se chali baaki jo bhi musalman bache the unme se kisi ki bhi nasl aage na badhi

📕 Almalfooz,hissa 1,safah 65

Aapki qabr masjide haraam me hai aur yahi raajeh hai

📕 Albidaaya,jild 1,safah 120 

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