WAHABI,AHLE HADEES YA SHIA SE SHADI (NIKAH) KARNA KAISA HAI ? (वहाबियों, देवबंदियों से शादी करना कैसा है)



WAHABI,AHLE HADEES YA SHIA SE SHADI (NIKAH) KARNA KAISA HAI ? (वहाबियों, देवबंदियों से शादी करना कैसा है) :

वहाबियों, देवबंदियों से निकाह करने के मुत्तालिक , इमामे इश्क़ो मुहब्बत, मुजद्दिदे दीन व मिल्लत, अज़ीमुल बरकत "आला हजरत,अश्शाह इमाम अहमद रज़ा खान" रदियल्लाहो तआला अन्हो  अपनी किताब "मलफूज़ात" में इरशाद फरमाते हैं कि......

सुन्नी मर्द या औरत का राफजी , वहाबी , देवबंदी , नेचरी , क़ादियानी , तब्लीगी , अहले हदीस मुर्तद जमाअतें , जितनी भी दीन से फिरे हुए लोग हैं , उनकी औरत या मर्द से निकाह नही होगा ! अगर निकाह किया तो निकाह न होकर सिर्फ ज़िना होगा और औलाद जायज़ न होकर ना जायज़ व हरामी कहलाएगी !

( हवाला : अलमलफूज जिल्द 2 , सफा न 105 )

अक्सर हमारे कुछ कम अक्ल , ना समझ सुन्नी मुसलमान जिन्हें दीन की मालूमात और ईमान की अहमियत नही मालूम होती वह वहाबियों(काफिरो) से आपस में रिश्ते जोड़ते है ! कुछ बदनसीब सब कुछ जानने के बाद भी वहाबियो से आपस में रिश्ते करते हैं !

कुछ सुन्नी हज़रात ख्याल करते हैं कि वहाबी अकीदे की लड़की अपने घर बियाह कर लाओ, फिर वह हमारे माहौल में रहकर खुद ब खुद सुन्नी हो जायेगी ! अव्वल तो यह निकाह ही नही होता क्योंकि जिस वक़्त निकाह हुआ उस वक़्त लड़का सुन्नी और लड़की वहाबी अक़ीदे पर कायम थी , लिहाज़ा सिरे से यह निकाह ही नही हुआ !

सैकड़ों जगह पर तो यह देखा गया है कि किसी सुन्नी ने वहाबी घराने में यह सोच कर रिश्ता किया , कि हम समझा बुझा कर अपने माहौल में रख कर उन्हें वहाबी से सुन्नी बना देंगे ! लेकिन वह समझा कर सुन्नी बना पाते इससे पहले ही उन वहाबी रिश्तेदारों ने इन्हें ही कुछ ज़्यादा समझा दिया और अपना हम ख़्याल बना कर सुन्नी से वहाबी बना डाला ( अल्लाह की पनाह ) ! सारी होशियारी धरी की धरी रह गई और दीन व दुनिया दोनों ही बर्बाद हो गये !

यह बात हमेशा याद राखिये एक ऐसे शख्स को समझाया जा सकता है , जो वहाबियों(काफिरों) के बारे में हकीक़त से वाकिफ नही है !

लेकिन ऐसे शख्स को समझा पाना मुमकिन नही है , जो सब कुछ जानता और समझता है , कि नज्दी मुल्लाओं ने हुजूरे अकरम सल्ललाहो तआला अलैहि वसल्लम ,और दूसरे अम्बियाऐ किराम , बुजुरगाने दीन की शाने अक़दस में गुस्ताखियां की हैं, लेकिन इन सब के बावजूद भी यह कहता है के यह (वहाबी) तो बड़े अच्छे लोग हैं ! इन्हें बुरा नही कहना चाहिए , ऐसे लोगो को समझा पाना हमारे बस में नही है !

➤ अल्लाह तआला ऐसे लोगो के मुत्तालिक इरशाद फरमाता है :

कंजुल ईमान :- अल्लाह ने उनके दिलों पर और कानों पर मोहर कर दी और उनकी आँखों पर घटा टूप है और उनके लिए बड़ा अज़ाब है !

( हवाला : कंजुल ईमान , पारा 1 , सूरए बकर , आयत 7 )

लिहाज़ा जरुरी अहम फ़र्ज़ है कि ऐसे लोगो से जिनके दिलों पर अल्लाह ने मोहर ( छाप , seal ) लगा दी हो , उनसे रिश्ते न कायम करें वरना शादी , शादी न होकर खालिस  जि़ना  और बलत्कारी का अड्डा हो जायेगी !

7 comments:

  1. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  2. Assalamu allaikum wa rehmatullahi wa barakatahu hazrat mera saval ye tha ki koi ladka jisse nikah ki tamam sharaite maloom ho aur tamam tor par mukammal nikah pada sake to gawah aur shadat ke sath khud apna nikah padha sakta hai ya nahi
    imam e ishq mohabbat ki kitabo me iss mozu par koi ilm mojood hai ya nahi

    Maslake ala hazrat salamat rahe

    ReplyDelete
  3. Agar Ek Sunni Ladki kisi shia ladke se mohabbat kre aur shaadi Karna chahe toh kya yeh jayaz hai?

    ReplyDelete
  4. I prefer merely excellent resources - you will see these people in: Event Planners

    ReplyDelete
  5. Allah ne Quraan me sunni wahabi ka jikar kaha kiya hai
    Surah Al-Ahzab Ayat 35 (33:35 Quran) With Tafsir
    Indeed, the Muslim men and Muslim women, the believing men and believing women, the obedient men and obedient women, the truthful men and truthful women, the patient men and patient women, the humble men and humble women, the charitable men and charitable women, the fasting men and fasting women, the men who guard their private parts and the women who do so, and the men who remember Allah often and the women who do so – for them Allah has prepared forgiveness and a great reward.

    Aur jo aap ne dalil di hai Quraan ki ayat se , jara achhi tarah Quraan padiye aur samjiye

    ReplyDelete