ए'तिकाफ की फ़ज़ीलत और उसके जरूरी मसाइल (What Is Etikaf, Information About Etikaf)






ETIKAF KYA HAI (WHAT IS ETIKAF):

मस्जिद में अल्लाह के लिए निय्यत के साथ ठहरना ए'तिकाफ है और इस के लिए मुसलमान आक़ील और जनाबत व हैज़ व निफ़ास से पाक होना शर्त है। बुलुगत शर्त नही बल्कि ना बालिग जो तमीज़ रखता है अगर ब निय्यते ए'तिकाफ मस्जिद में ठहरे तो यह ए'तिकाफ सही है, आज़ाद होना भी शर्त नही लिहाज़ा गुलाम भी ए'तिकाफ कर सकता है मगर उसे मौला (मालिक) से इजाज़त लेनी होगी और मौला को बहरहाल मना करने का हक़ हासिल है।


ETIKAF KI FAZILAT (ए'तिकाफ की फ़ज़ीलत):

(1) अल्लाह عزوجل इरशाद फ़रमाता है :
وَلَا تُبَاشِرُوهُنَّ وَأَنتُمْ عَاكِفُونَ فِي الْمَسَاجِدِ ۗ
तर्जमा : औरतो से मुबाशरत न करो ! जब कि तुम मस्जिद में ए'तिकाफ किये हुए हो।

(सूरह बक़रह, आयत 187)

(2) सहीहैन में उम्मुल मोमिनीन सिद्दीक़ा رضي الله تعالى عنها से मरवी, की रसूल صلى الله عليه وسلم रमज़ान के आखिर अशरा (या'नी रमज़ान के आखिर दस दिन) का ए'तिकाफ फ़रमाया करते थे।

(सहीह मुस्लिम, किताबुल ए'तिकाफ, हदीस 1172)

(3) बैहक़ी, इमाम हुसैन رضي الله تعالى عنه से रावी, की हुज़ूरे अक़दस صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : "जिस ने रमज़ान में दस दिनों का ए'तिकाफ कर लिया तो ऐसा है जैसे दो हज और दो उमरे किये।

(शुअबुल ईमान, हदीस : 3966, जिल्द : 3, सफ़हा : 425)

(बहारे शरीअत, हिस्सा : 5, ए'तिकाफ का बयान)





ATIQAF KI KISME (ए'तिकाफ की किस्में ):

ए'तिकाफ की तीन किस्में है :

(1) वाज़िब, की ए'तिकाफ की मन्नत मानी या'नी जुबान से कहा, महज़ दिल मे इरादे से वाज़िब न होगा।

(2) सुन्नते मुअक्कदा, की रमज़ान के पूरे अशरए आखिर या'नी आखिर के दस दिनों में ए'तिकाफ किया जाए या'नी बीसवी रमज़ान को सूरज डूबते वक़्त ब निय्यत ए'तिकाफ मस्जिद में हो और तीसवी के गुरूबे बा'द या उन्तीस को चांद होने के बा'द निकले। अगर बीसवी तारीख को बा'द नमाज़ मग़रिब ए'तिकाफ की निय्यत की तो सुन्नते मुअक्कदा अदा न हुई, और यह ए'तिकाफ सुन्नते किफ़ाया है की अगर सब तर्क करे (छोड़ दे) तो सब से मुतालबा होगा और शहर में एक ने कर लिया तो सब बरीउज़्ज़िम्मा।

(3) इन दो के अलावा जो ए'तिकाफ किया जाए वह मुसतहब व सुन्नते गैर मुअक्कदा है।


(बहारे शरीअत, हिस्सा : 5, ए'तिकाफ का बयान)

AURAT LADIES KE LIYE ETIKAF (औरत के लिए ए'तिकाफ़) :

औरत को मस्जिद में ए'तिकाफ मकरुह है बल्कि वह घर मे ही ए'तिकाफ करे मगर उस जगह करे जो उसने नमाज़ पढ़ने के लिए मुक़र्रर कर रखी है जिसे मस्जिदे बैत कहते है और औरत के लिए मुस्तहब भी है कि घर मे नमाज़ पढ़ने के लिए कोई जगह मुकर्रर कर ले और चाहिए कि उस जगह को पाक साफ रखें और बेहतर यह है कि उस जगह को चबूतरा वगेरा की तरह बुलन्द कर ले बल्कि मर्द को भी चाहिए कि नवाफिल के लिए घर मे कोई जगह मुकर्रर कर ले कि नफ़्ल नमाज़ घर में पढ़ना अफ़ज़ल है।


अगर औरत ने नमाज़ के लिए कोई जगह मुकर्रर नहीं कर रखी है तो घर मे ए'तिकाफ नही कर सकती अलबत्ता उस वक़्त या'नी जब कि ए'तिकाफ का इरादा किया किसी जगह को नमाज़ के लिए खास मुकर्रर कर लिया तो उस जगह ए'तिकाफ कर सकती है।

खुन्सा (हिजड़ा) मस्जिदे बैत में ए'तिकाफ नही कर सकता।

(बहारे शरीअत, हिस्सा : 5, ए'तिकाफ का बयान)

ETIKAF E SUNNAT E MU'AKKADA (ए'तिकाफ़े सुन्नत मुअक्कदा):

सुन्नते मुअक्कदा, की रमज़ान के पूरे अशरए आखिर या'नी आखिर के दस दिनों में ए'तिकाफ किया जाए या'नी बीसवी रमज़ान को सूरज डूबते वक़्त ब निय्यत ए'तिकाफ मस्जिद में हो और तीसवी के गुरूबे बा'द या उन्तीस को चांद होने के बा'द निकले। अगर बीसवी तारीख को बा'द नमाज़ मग़रिब ए'तिकाफ की निय्यत की तो सुन्नते मुअक्कदा अदा न हुई, और यह ए'तिकाफ सुन्नते किफ़ाया है की अगर सब तर्क करे (छोड़ दे) तो सब से मुतालबा होगा और शहर में एक ने कर लिया तो सब बरीउज़्ज़िम्मा।

(बहारे शरीअत, हिस्सा : 5, ए'तिकाफ का बयान)

➤ ए'तिकाफ़े सुन्नत या'नी रमज़ान के आखरी अशरह का ए'तिकाफ "सुन्नत मुअक्कदा अलल किफ़ाया है या'नी पूरे शहर में किसी एक ने रख लिया तो सब की तरफ से अदा हो गया और अगर किसी एक ने भी न किया तो सब मुज़रिम हुए।

➤ ए'तिकाफ़े सुन्नत में यह ज़रूरी है कि रमज़ानुल मुबारक की बीस्वी तारीख को गुरूबे आफ़ताब से पहले मस्जिद के अन्दर ब निय्यते ए'तिकाफ मौजूद हो और उन्तीस के चांद के बा'द या तीस के गुरूबे आफ़ताब के बा'द मस्जिद से बाहर निकले।

➤ अगर 20 रमज़ानुल मुबारक को गुरूबे आफ़ताब के बा'द मस्जिद में दाखिल हुआ तो ए'तिकाफ की सुन्नते मुअक्कदा अदा न हुई बल्कि सूरज डूबने से पहले ही मस्जिद में दाखिल हो गए थे मगर निय्यत करना भूल गए या'नी दिल मे ही निय्यत न थी तो इस सूरत में भी ए'तिकाफ की सुन्नते मुअक्कदा अदा न हुई। अब अगर गुरूबे आफ़ताब बा'द निय्यत की तो नफ़ली ए'तिकाफ कहलायेगा।


Etikaf E Sunnat ki niyat (ए'तिकाफ़े सुन्नत की निय्यत) :

"में अल्लाह عزوجل की रिज़ा के लिए रमज़ानुल मुबारक के आखरी अशरह केसुन्नते ए'तिकाफ़ की निय्यत करता हूं।"

(बहारे शरीअत, हिस्सा : 5, ए'तिकाफ का बयान)

ए'तिकाफ़े नफ़्ल व सुन्नते गैर  मुअक्कदा :

वाज़िब और सुन्नते मुअक्कदा  के अलावा जो ए'तिकाफ किया जाए वह मुसतहब (नफ़्ली) व सुन्नते गैर मुअक्कदा है।

(बहारे शरीअत, हिस्सा : 5, ए'तिकाफ का बयान)

➤ ए'तिकाफ़े वाज़िब व सुन्नत के लिए रोज़ा शर्त है जब कि ए'तिकाफ़े नफ़्ल के लिए रोज़ा शर्त नही और वक़्त की कैद नही।


➤ जब भी मस्जिद में दाखिल हो तो ए'तिकाफ की निय्यत कर लीजिये जब तक मस्जिद में रहेंगे ए'तिकाफ का सवाब मिलता रहेगा, जब मस्जिद से बाहर निकलेंगे ए'तिकाफ खत्म हो जाएगा।

➤ ए'तिकाफ की निय्यत कोई मुश्किल काम नही बल्कि निय्यत दिल के इरादे का नाम है और जुबान से कह लेना बेहतर है।

➤ ए'तिकाफ नफ्ल की निय्यत : "मेने सुन्नते ए'तिकाफ की निय्यत की।"


🔸Mard hazraat masjid me aur aurtein ghar ki us jagah (masjide baith) jaha wo namaz padti ho waha etekaaf kare.

*▶MASJIDE BAITH:*

🔸Aurat gharme jis jagah namaz ke liye makhsoos (select) ki hai us jagah ko masjide baith kahte hai.


*(📚Durre Mukhtar jild-3)*


🔸Namaz ke liye Jagah Khaas na ho tho?

▶Jis din etekaaf ka irada kiya tab hi kisi jagah ko namaz ke liye khaas karlein aur wahi itekaaf kare.

*(📚Durre Mukhtar jild-3)*

Yaad rahe bada hall jaha Tv ya sabka aana jana ho, behtar hai waisi jagah khaas na karein.


🔸ETEKAF KE BAREME:

1⃣Ramazan ka itekaaf sunnat hai aur iske liye roza bi sharth hai. Tamam 10 din ka itekaaf karna sunnat hai aur agar chahe tho 1,2 din bi karsakte hai.

2⃣ek namaz se dusri namaz tak ka itekaaf bi jaiz hai par iska sawab bahot kam hai aur ye nafil me aata hai.

3⃣agar ek din ka itekaaf kar rahe ho tho ghurube aftab (Maghrib ki azan se pahle yani asar ke baad) se itekaaf ki jagah baitjaye aur agley din maghrib tak rahne se ek din ka itekaaf kahlayega.

*(📚Durre Mukhtar Jild-3)*


🔸AURTO KE ETEKAF KE MASAIL:

▶Aurtein itekaaf ghar ke us hisse me kare jaha wo namaz padti ho. 

4⃣Itekaf ke liye haiz se paak hona sharth hai, *agar halate itekaf me haiz ajaye tho itekaf toot jayega.*

5⃣Itekaf ki halat me bila wajah dusre room me na jaye siwae zarurat ke jaise ke washroom,wuzu etc..,

6⃣Khana khakar wahi ek bowl me hath dhoye, *agar islami baheno ko sehri ya iftar ke liye kitchen se room tak laane wala koi na ho tho wo khud kitchen me jakar apni chize lasakti hai.*

7⃣Pakwaan ki kaam me madad ya tarkari wagaira kaatna etekaf ki jagah baitkar kia tho jaiz hai, kitchen me bila wajah pakwan ya tarkari wagira kaatne gayi tho etekaf toot jayega.

8⃣Agar etekaf ki jagah koi aakar baat kia jaiz hai par etekaf me kisi se batein na kare ke sawab se mehrumi na hojaye.

9⃣Namaz, Zikr,darood, tilawat me waqt guzare.

*(📚Akhaz Tafheemul Masail)*


ETEKAF KI NIYYAT KAISE KARE:

▶Niyyat dil ke irade ka naam hai, zaban se kahna behtar hai.

*"Mai ALLAH ki riza ke liye ramazan ke akhiri ashrah ke sunnat etekaaf ki niyyat karta/karti hu."*

*(📚Akhaz Fatwae Razviya jild-5,8)*

🔹Ghurube aftaab se pahle pahle etekaf ki jagah pahunch jaye, agar ghuroob baad dil me irada kia ke etekaf ke liye aaya hu tho nafl etekaf hojayega, lehaza asar ke baad aur maghrib ki azaan se pahle pahle etekaf ki jagah (mard masjid me aur aurtein ghar ki wo jagah jaha baqi dino me namaz ada karti ho) ajaye aur niyyate etekaf karlein.


🔸ETEKAF KE FAZAIL:

▶Hzt Ayesha Siddiqa raziALLAHU anha se riwayat hai ke Pyare NABI swallallahu alaihi wa swallam ne farmaya

*"Jo shaks imaan ke sath sawab hasil karne ki niyyat se etekaaf kiya uske tamam pichle gunah (chote gunah) baqsh diye jayenge."*

*(📚Jame Us'sagheer hadees-8480)*


🔸DO HAJJ AUR DO UMRAH KA SAWAB:

▶Hzt Ali RaziALLAHU anhu se riwayat hai ke Pyare NABI Swallallahu alaihi wa swallam ne farmaya

*"Jisne Ramazan me etekaf kiya wo aisa hai jaise usne do hajj aur do umrah kiya."*

*(📚Shu'abul imaan hadees-2966)*



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