नमाज़ की कुल छः शराईत होती हैं || NAMAZ KE 6 SHARAIT HAI
NAMAZ KE 6 SHARAIT HAI
नमाज़ की कुल छः शराईत होती हैं,
(1) तहारत TAHARAT
(2) सित्रे-औरत SATRE AURAT
(3) इस्तक़बाले-क़िबला QIBLA
(4) वक़्त TIME
(5) नियत NIYAT
(6) तकबीरे-तहरीमा TAQBIRE TEHREEMA
■ ➞ अगर शहर से बाहर या क़रिया या खेत में है और नमाज़ पढ़नी है तो अगर वो जगह क़रीब है तो अज़ान काफ़ी है, लेकिन कह लेना बेहतर है।
■ ➞ क़रीब होने का ये मतलब है कि अज़ान की आवाज़ पहुँचती हो और अगर ना पहुँचती हो तो फिर शहर की अज़ान काफ़ी नहीं।
■ ➞ लोगों ने मस्जिद में नमाज़ पढ़ी और बाद में मालूम हुआ कि वो नमाज़ सही नहीं हुयी तो उसी मस्जिद में जमाअ़त के साथ पढ़ें और अज़ान को दोहराना ज़रूरी नहीं और फ़स्ल-तवील ना हो यानी फ़ौरन दोबारा जमाअ़त हो रही हो तो इक़ामत की भी हाजत नहीं और अगर वक़्फ़ा ज़्यादा हुआ तो इक़ामत कही जाये और अगर वक़्फ़ा चला गया तो ग़ैरे-मस्जिद में अज़ानो-इक़ामत के साथ पढ़े।
■ ➞ जमाअ़त भर की नमाज़ क़ज़ा हो गयी तो अज़ान व इक़ामत के साथ पढ़ें और अकेले की क़ज़ा हुयी तो भी अज़ान व इक़ामत कह सकता है जबकि कहीं तन्हा हो वरना क़ज़ा नमाज़ का इज़हार करना गुनाह है और इसीलिये मस्जिद में क़ज़ा पढ़ना मकरूह है।
_(अगर क़ज़ा पढ़ने से किसी को पता चलता हो तो ही मकरूह है, लेकिन अगर किसी को पता न चलता हो तो पढ़ सकता है जैसे कि अस्र या इशा से पहले चार सुन्नतें या निफ़ल की जगह क़ज़ा नमाज़ पढ़ ले तो किसी को पता नहीं चलेगा। )
■ ➞ अगर मस्जिद में क़ज़ा पढ़े तो अज़ान ना कहे और वित्र की क़ज़ा पढ़े तो तीसरी रकअ़त में हाथ ना उठाये (अगर घर में पढ़े और कोई न देखता हो तो तकबीर के लिए हाथ उठाए) और अगर किसी ऐसी वजह से नमाज़ क़ज़ा हुयी कि वहाँ सब उसमें मुब्तिला थे तो अज़ान कही जाये।...
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