हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम का आसमान से उतरना और दज्जाल का ख़ात्मा

HAZRAT ISA ALAIHISSALAM KA AASMAN SE UTARNA AUR DAJJAL KO MARNA:

हज़रते ईसा علیہ السلام का आसमान से उतरना और दज्जाल का ख़ात्मा 

जब दज्जाल सारी दुनिया में फिर फिरा कर मुल्के शाम को जाएगा उस वक़्त हज़रते ईसा علیہ السلام दमिश्क़ की जामा मस्जिद के पूर्वी मीनार पर आसमान से उतरेंगे। यह सुबह का वक़्त होगा। फ़जर की नमाज़ के लिए इक़ामत हो चुकी होगी। हज़रते ईसा علیہ السلام इमाम महदी رضی اللہ عنہ को इमामत का हुक्म देंगे। हज़रत इमाम महदी رضی اللہ عنہ नमाज़ पढ़ाएंगे। दज्जाल मलऊ़न हज़रते ईसा علیہ السلام की सांस की खुशबू से पिघलना शुरू होगा जैसे पानी से नमक घुलता है। और आपकी सांस की खुशबू वहां तक जाएगी जहां तक निगाह पहुंचती है। दज्जाल भागेगा। आप उसका पीछा करेंगे और उसकी पीठ में नेज़ा मारेंगे इससे वह वासिल-ए-जहन्नम होगा। 

फिर हज़रते ईसा علیہ السلام सलीब तोड़ेंगे। ख़िन्ज़ीर को क़त्ल करेंगे। जितने यहूदी ईसाई बचे रहे होंगे वह आप पर ईमान लाएंगे। उस वक़्त तमाम जहान में दीन एक दीन इस्लाम होगा और मज़हब एक मज़हब अहल-ए-सुन्नत का।

बच्चे सांप से खेलेंगे। शेर और बकरी एक साथ चरेंगे। हज़रते ईसा علیہ السلام निकाह करेंगे। औलाद भी होगी। 40 बरस तक रहेंगे और वफ़ात के बाद रोज़-ए-अनवर में दफ़न होंगे।

 (📕क़ानून-ए-शरीअ़त, हिस्सा 1)

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