मय्यत के कफ़न का बयान || MAYYAT KE KAFAN KA BAYAN.


MAYYAT KE KAFAN KA BAYAN (मय्यत के कफ़न का बयान) :

"मरने के बाद इंसान को जो लिबास पहनाया जाता है उसे कफ़न कहते है, ये फर्ज़े किफ़ाया है।" (Kafan Pahnana Farze Kifaya Hai)

("जन्नती लिबास-हदीसे मुबारका")

"हज़रत सैय्यदना अबू उमामा रदिअल्लाहो तआला अंह" से "रिवायत है के नूर के पैकर, तमाम नबीयों के सरवर सल्लल्लाहु तआला अलैही वआलेही वसल्लम ने फरमाया : जिसने किसी मय्यत को कफनाया यानी (कफ़न पहनाया) तो अल्लाह तआला उसे सुन्दूस का लिबास (जन्नत का इंतिहाई नफ़ीस रेशमी) पहनाएगा।

(मुअज़्ज़म कबीरुल तिबरानी, 8/281, हदीस- 78-80)

➤ KAFAN KE DARJE (कफ़न के दर्जे) :

1. Kafan Zarurat (ज़रुरत) 

2. Kafan Kifayat (किफायत)

3. Kafane Sunnat (सुन्नत)

➤ कफ़न जरुरत: "कफ़ने जरुरत मर्द औरत दोनों के लिए ये के जो मयस्सर आए और कम अज़ कम इतना हो के सारा बदन छुपा दे।"

(दुर्रे मुख्तार-रद्दुल मोहतार, किताबुस्सलात, बाबुस्सलातुल जनाजा, 3/110)


➤ कफ़ने किफ़ायत:  

कफ़ने किफ़ायत मर्द के लिए दो कपड़े है:

1. लिफ़ाफ़ा          2. इज़ार

कफ़ने किफ़ायत औरत के लिए तीन कपड़े है:

1. लिफ़ाफ़ा      2. इज़ार     3. ओढ़नी

या फिर

1. लिफ़ाफ़ा      2. कमीज़     3. ओढ़नी

(बहारे शरीयत, हिस्सा-4, 1/817)


➤कफ़ने सुन्नत:

मर्द के लिए कफ़ने सुन्नत तीन कपड़े है:

1. लिफ़ाफ़ा      2. इज़ार         3.कमीज़


कफ़ने किफ़ायत औरत के लिए पांच कपड़े है:

1. लिफ़ाफ़ा      2. इज़ार     3. कमीज़

4. सीना बंद     5. ओढ़नी

(बहारे शरीयत, हिस्सा-4, 1/817)



➤जिस में मर्द व औरत दोनों की अलामत हो और ये साबित न हो के मर्द है या औरत तो औरत की तरह पांच कपड़े दिए जाएं मगर कुसुम या ज़ाफ़रान का रंगा हुआ और रेशमी कफ़न उसे नाजाइज़ है।"

(आलमगीरी, किताब्बुस्सलात, बाबुल हादी व वल अशरुन फिलजनाइज, अलफ़स्लुसलास फिल तकफीन, 1/161)

1 comment:

  1. मय्यत के कफ़न पर कफनी लिखने का रिवाज़ है यानि मय्यत की पेशानी या इमामा या कफन पर अगर अहद नामा, बिस्मिल्लाह शरीफ लिख दे, तो शरीअत के हुक्म में रह कर ऐसा करना क्या है

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