HAZRAT TARIQ BIN ZIYAD [तारिक बिन ज़ियाद फातेह उन्दलस (स्पेन)]


"तारिक़ बिन जि़याद -फा़तेह" उन्दलस (स्पेन) और आपका इश्क़ ए मुस्तफ़ा (सल्लल्लाहु व अलैही वसल्लम) और आप पर अक़ीदे कि एक अज़ीम दास्तान |"

HAZRAT TARIQ BIN ZIYAD 


तारिक़ बिन जि़याद अफ़्रीक़न बरबरी नस्ल से थे और मूसा बिन नसीर के आजा़दकरदा गु़लाम थे!
तारिक़ बिन ज़ियाद की जंगी का़बिलियत देखते हुए मूसा बिन नसीर ने ख़लीफा़ वलीद बिन अब्दुल मलिक से सिफा़रिश करके तारिक़ बिन ज़ियाद को पहले फौ़जी खि़दमात पर मामूर किया फिर आगे चलकर तारिक़ बिन ज़ियाद अफ़्रीका़ में तुख़्बा के वाली हो गए!
अफ़्रीका़ पहले से दो हिस्सों में बंटा हुआ था! शुमाली (उत्तरी)अफ़्रीका़ और जुनूबी (दखिनी) अफ़्रीका़!
जुनूबी अफ़्रीका़ में हमेशा से वह जंगली क़बाएल आबाद थे जिन्होंने जुनूबी अफ़्रीका़ में कभी किसी को घुसने नहीं दिया!
शुमाली अफ़्रीका़ भी मुसलमानों के दख़ल के बाद दो हिस्सों में बंट गया था! मशरिकी़ अफ़्रीका़ मुसलमानों के क़ब्जे़ में था और मग़रिबी अफ़्रीका़ पर स्पेनी ईसाइयों की हुकूमत थी!
स्पेन पर मुसलमानों के हमले की वजह एक खा़स वाक़या है!
मग़रिबी अफ़्रीका़ के स्पेनी गवर्नर काउंट जूलियन और तारिक़ बिन जि़याद के बीच दोस्ताना तअल्लुका़त थे!
स्पेन के क़दीम रिवाज के मुताबिक़ हुकूमत के जितने भी गवर्नर और अम्माले हुकूमत होते थे उनके बच्चे बालिग़ होने तक बादशाह के महल में परवरिश पाते थे ताकि आदाबे शाही सीख सकें!
इन महल में परवरिश पाने वाले बच्चों में अफ़्रीका़ के गवर्नर काउंट जूलियन की चौदह साल की लड़की भी थी!
स्पेन के बादशाह राड्रिक की नियत उस लड़की पर ख़राब हो जाती है और वह राड्रिक की हवस का शिकार हो जाती है!
काउंट जूलियन को जब इस बात की इत्तेला होती है तो वह राड्रिक से बदला लेने के दरपे हो जाता है! लेकिन वह जा़हिर है कि बादशाह का कुछ बिगाड़ नहीं सकता है!
काउंट जूलियन इस बात का जि़क्र तारिक़ बिन ज़ियाद से करता है और मदद की दरख़्वास्त करता है!
तारिक़ बिन ज़ियाद इस तअ़ल्लुक़ से मूसा बिन नसीर को ख़त लिखते हैं! मूसा बिन नसीर इस मामले को आगे बढा़ते हुए ख़लीफा़ वलीद बिन अब्दुल मलिक को ख़त लिखते हैं!
ख़लीफा़ वलीद का जवाबी ख़त आता है जिसमें ख़लीफा़ ने लिखा था कि जु़ल्म दुनिया के किसी हिस्से में भी हो मुसलमान का फ़र्ज़ है कि जु़ल्म के खि़लाफ़ खड़ा हो,
स्पेन जाओ और उस जा़लिम बादशाह को सजा़ दो!
मूसा बिन नसीर तारिक़ बिन ज़ियाद. को स्पेन पर हमला करने की तय्यारी करने का हुक्म देते हैं, लेकिन फौ़री तौर पर यह काम नामुमकिन था, इसके लिये तय्यारी करने के लिये काफी़ वक़्त की ज़रूरत थी, तारिक़ बिन ज़ियाद. एक साल का वक़्त मांगते हैं!
उधर मूसा बिन नसीर भी फौ़ज की नफ़री बढा़ना शुरू करते हैं!
यह वाक़या 711ईस्वी बमुताबिक़ 92 हिजरी का है! तारिक़ बिन ज़ियाद एक साल में सात हजा़र फौ़ज जमा कर लेते हैं और कश्तियां तय्यार करवा लेते हैं!
712 ईस्वी, 93 हिजरी में आप इन कश्तियों में अपने सात हजा़र के लश्कर के साथ स्पेन के एक पहाडी़ दामन के साहिल पर उतरते हैं! इस पहाड़ का नाम आपके नाम की मुनासबत से जबलुत्तारिक़ पडा़ जो बाद में जिब्राल्टर हो गया!
स्पेन तक के सफ़र में तारिक़ बिन ज़ियाद एक ख़्वाब देखते हैं कि नबी ए करीम (सल्लल्लाहु व अलैही वसल्लम) महाजरीन और अन्सार के साथ तशरीफ़ फ़रमा हैं! सहाबा ए किराम तलवारें तलवारें लटकाए और कन्धों पर कमानें चढा़ए हुए हैं और आप आक़ा हुजूर तारिक़ बिन ज़ियाद से फ़रमा रहे हैं "तारिक़ इसी शान से क़दम बढा़ए जाओ, मुसलमानों के साथ नरमी से पेश आओ, वादों को पूरा करो और अद्ल व इंसाफ़ का़यम करो
इसके आगे देखते हैं आक़ा हुजू़र सहाबा इकराम के साथ उन्दलस में दाखि़ल हो रहे हैं और तारिक़ बिन ज़ियाद इस जमात के पीछे चल रहे हैं!
इस मुक़द्दस ख़्वाब को आक़ा हुजू़र . की तरफ़ से फ़तह की बशारत समझते हैं और अपने साथियों को बताते हैं! सभी ने इस ख़्वाब को सुनकर तक़वियत हासिल की और सबको फ़तह का कामिल यकी़न हो गया!
तारिक़ बिन जि़याद का एक बहोत मशहूर वाक़या है कि जब आप उन्दलस के साहिल पर उतरे तो आपने खै़मे नसब करवाने के बाद कश्तियों में जो सामान था वह खै़मों में मुन्तकि़ल करवाया और कश्तियों को जला देने का हुक्म दिया! कश्तियों को जला दिया गया!
कश्तियों के जल जाने के बाद आपने एक तारीखी़ तक़रीर की! तक़रीर काफी़ बड़ी है यहां सिर्फ़ मफ़हूम लिख रहा हूँ, आपने फ़रमाया! -
सुन लो कि अब हमारे पीछे समंदर है और आगे फ़तह या शहादत! और यह दोनों ही बड़ी कामयाबी है! मुवर्रिखी़न लिखते हैं कि ख़्वाब में आक़ा हुजू़र का दीदार होने के बाद से तारिक़ बिन ज़ियाद पर एक अजीब सी मस्ती और सुरूर तारी हो गया था जिसे लफ़्जो़ं में बयान करना मुश्किल है!
उस वक़्त उन्दलस में नजूमियों की बड़ी भरमार थी और तारिक़ बिन ज़ियाद के उन्दलस पहुंचने से पहले कुछ नजूमियों की अजीब -ओ-ग़रीब पेशनगोइयों का जि़क्र कुछ मुवर्रिखी़न ने किया है! जिनमें एक बडा़ देवमालाई कि़स्सा भी है!
कुछ मुवर्रिखी़न ने लिखा है कि एक क़दीम महल था जिसे कभी खोला नहीं जाता था बल्कि हर होने वाला नया बादशाह उसमें एक ताला अपनी तरफ़ से डलवा देता था क्योंकि मशहूर था कि जो बादशाह उस महल को खोलेगा उसकी मौत हो जाएगी! राड्रिक तारिक़ बिन ज़ियाद के हमले से पहले उस महल को खुलवा देता है और महल में स्पेन फ़तह करने वालों की तस्वीरें मौजूद होती हैं तभी से उन्दलस वालों के दिलों में डर बैठा होता है कि अब कुछ बुरा होने वाला है- वल्लाहु आलम--
बहरहाल यह कि़स्सा चूंकि इल्म नजूम पर मबनी है इस लिये इसकी सदाक़त मशकूक है! कुछ मुवर्रिखी़न ने इस कि़स्से को बड़ी तफ़सील से बयान किया है जिसको यहां बयान करना गै़र ज़रूरी मालूम होता है!
तारिक़ बिन ज़ियाद उन्दलस के साहिल पर रजब माह की पांच तारीख़ को उतरे थे! मूसा बिन नुसेर की हिदायत के मुताबिक़ तारिक़ बिन ज़ियाद को मूसा बिन नुसेर की भेजी हुई कुमक का इन्तज़ार साहिल पर ही करना था लेकिन उन्दलस वालों को इस लश्कर के आने की इत्तेला हो गई थी और जिस इलाके़ में यह लश्कर उतरा था वहां का गवर्नर ड्यूक थ्योडोमिर तारिक़ बिन ज़ियाद के मुका़बले पर आ गया!

उसने बादशाह राड्रिक को भी इस लश्कर के आने की इत्तेला कर दी!
उन्दलस की ज़मीन पर तारिक़ बिन ज़ियाद का पहला मुका़बला ड्यूक थ्योडोमिर से हुआ जिसमें थ्योडोमिर बुरी तरह पस्पा हुआ और भागकर क़रतबा चला गया!



➤अब पहले एक नज़र स्पेन के बादशाह राड्रिक की तारीख़ पर डाल लेते हैं!

स्पेन पर 694 ईस्वी से गाथ खा़नदान की हुकूमत थी अलग अलग मुल्कों के मुवर्रिखी़न ने "गाथ" को अलग अलग स्पेलिंग के साथ लिखा है इस लिये हरएक इसे अपनी ज़बान के हिसाब से बोलता है!
इस खा़नदान का पहला बादशाह विटिजा़ ( Wittiza ) था और आखि़री बादशाह राड्रिक हुआ! राड्रिक ने सिर्फ़ दो साल हुकूमत की, वह 610 ईस्वी में गाथ खा़नदान की आपसी लडा़ई झगड़े के बाद बादशाह बना था क्योंकि बादशाहत के दावेदार खा़नदान के दूसरे अफ़राद भी थे!
इधर काउंट जूलियन जिसकी तरगी़ब पर तारिक़ बिन ज़ियाद यह लश्कर लेकर उन्दलस आए थे वह भी इस लश्कर के साथ आया था और उसने दरपरदा स्पेन में अपने हामी ईसाइयों की मदद हासिल करना शुरू कर दी थी और दूसरी तरफ़ मूसा बिन नुसेर ने भी मजी़द पांच हजा़र का लश्कर भेज दिया था, इस तरह इस्लामी लश्कर की तादाद अब बारह हजा़र हो गई थी!
काउंट जूलियन ने चारों तरफ़ नज़र रखी थी और उसके जासूस क़रतबा के अन्दर और बाहर फैले हुए थे!
राड्रिक ने एक तरफ़ तो अवाम को मज़हब और वतन के नाम पर फौ़ज में भरती होने की तरगी़ब दी दूसरी तरफ़ गाथ खा़नदान के उन शहजा़दों को मज़हब और वतन के नाम पर बुलाया जो बादशाहत के दावेदार रह चुके थे!
वह शहजा़दे अपना लश्कर लेकर आ तो गए लेकिन राड्रिक से नाराज़गी की वजह से अपने लश्कर के साथ क़रतबा न आकर बाहर मैदान में अपने खै़मे लगा दिये!
काउंट जूलियन को जैसे ही इन शहजा़दों और उनके लश्कर के आने की इत्तेला मिली उसने फौ़रन अपना एलची भेजकर उनसे राब्ता का़यम किया और दरपरदा एक मुआहिदा किया जिसमें तारिक़ बिन ज़ियाद की फ़तह के बाद उन शहजा़दों का, उनके खा़नदान का और उनकी जायदाद और जागीरों का तहफ़्फु़ज़ वगै़रह की शर्तें शामिल थीं!
तारिक़ बिन ज़ियाद ने यह शर्तें मंजू़र कर लीं और यह तय हो गया कि गाथ शहजा़दे राड्रिक का साथ नहीं देंगे बल्कि इस्लामी लश्कर का साथ देंगे!
दरअसल राड्रिक से उनकी नाराज़गी पहले ही से थी, जब उनको काउंट जूलियन की लड़की के साथ हुए हादसे का इल्म हुआ तो वह बिल्कुल ही राड्रिक के खि़लाफ़ हो गए
गाथ शहजा़दों का साथ मिल जाने से एक तो इस्लामी लश्कर की फौ़जी ताक़त बढ़ गई थी दूसरे इस्लामी सिपाहियों के हौसले को भी तक़वियत पहुंची! तारिक़ बिन ज़ियाद समझ गए कि यह भी ताईदे गै़बी है!
अब आप जूलियन की रहबरी में अपना लश्कर लेकर जुनूब की तरफ़ बढे़!
उधर राड्रिक भी अपना लशकरे जर्रार लेकर क़र्तबा से रवाना हुआ और दरियाए ग्वाडलक्वीविक Guadalquivic के मशरिकी़ मैदान में खै़माज़न हो गया!
25 रमजा़नुल मुबारक 92 हिजरी बमुताबिक़ 17 जुलाई 711 को दोनों लश्कर आमने-सामने खै़माज़न हो गए!
दो दिन की जंगी तय्यारियों के बाद 27 रमजा़न 92 हिजरी को सुबह दोनों लश्करों ने अपनी सफें सीधी कर लीं!
पहला हमला राड्रिक ने किया!
राड्रिक को अपने लश्कर के मैमनह और मैसरह यानी दाहिने और बाएं के दस्ते पर बडा़ भरोसा था!
उसने मैमनह और मैसरह दोनों की कमान गाथ शहजा़दों के हाथ में दे दी थी!
ऐन जंग के शुरू में ही दोनों शहजा़दे मैदान छोड़कर पीछे से आकर तारिक़ बिन जय्यड के लश्कर में शामिल हो गए!
राड्रिक यह सूरतेहाल देखकर बहोत परेशान हुआ लेकिन उसका लश्कर अब भी इस्लामी लश्कर से दस गुना से भी ज़्यादह था!
राड्रिक चूंकि एक जा़लिम हुक्मरां था इसलिये उसके पुराने और नए भरती हुए सिपाहियों में वह जोश और जज़्बा नहीं था जो इस्लामी लश्कर के सिपाहियों में था! वह सिर्फ़ इसलिये लड़ रहे थे कि राड्रिक के तनख़्वाहदार थे!
इधर इस्लामी लश्कर के सिपाही अल्लाह की रजा़ और
मुस्तफ़ा जाने रहमत के सच्चे इश्क़ में अपने सालार की मुहब्बत और जांनिसारी के लिये लड़ रहे थे! दोनों के जज़्बे में ज़मीन आसमान का फ़र्क़ था!
यह लडा़ई सात दिन तक 27 रमजा़न से 5 शवाल तक चली जिसमें 6 हजा़र मुजाहिदीन शहीद हुए और पचास हजा़र स्पेनी क़त्ल हुए और बाकी़ जो बचे उन्होंने राहे फ़रार अख़्तियार की!
सातवें दिन की फै़सलाकुन जंग में तारिक़ बिन ज़ियाद अपना घोड़ा राड्रिक की फौ़ज के क़ल्ब में लेजाकर राड्रिक को ललकारते हैं जो अपनी रथनुमा चांदी की बग्घी पर सवार था!
वह तारिक़ बिन ज़ियाद की खलहु में सनी शम्सीर देखकर अपनी बग्घी घुमाकर भागता है! जबतक तारिक़ बिन ज़ियाद उस तक पहुंचते, वह फ़रार हो चुका था!
इस्लामी सिपाहियों ने उसका पीछा किया लेकिन वह नहीं मिल सका! दरिया के किनारे उसकी बग्घी और घोड़ा कीचड़ में फंसे हुए मिले! उसके कुछ कपड़े और जूते भी वहीं पडे़ मिले!
उसकी मौत कैसे हुई या वह कहां गया इसपर मुवर्रिखी़न की अलग अलग राय है! अक्सर की राय है कि वह दरिया पार करने की कोशिश में डूब गया!
स्पेन की फ़तह राड्रिक की मौत या क़रतबा फ़तह पर पूरी नहीं हो गई थी! अभी जुनूब मग़रिब में बहोत सी रियासतें बाकी़ थीं जिनको सर किये बगै़र यह फ़तह नामुकम्मल थी!

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