सर्दी गर्मी का पढ़ना और जहन्नुम का सांस लेना

 सर्दी गर्मी का पढ़ना और जहन्नुम का सांस लेना

अबु दाउद ने हज़रते अबु हुरैरह रदीयल्लाहो अन्हो से, मुस्लिम, बुख़ारी,निसाई,बेहिक़ी ने अबु सईद ख़ुदरी रदीयल्लाहो अन्हो से रवायत की...

 हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की :- गर्मी की तेज़ी दोज़ख़ की भड़क से है लिहाज़ा ज़ुहर ठंडी करो..आग ने रब की बरगाह में शिकायत की और अर्ज़ किया कि मौला मेरे कुछ हिस्से ने कुछ को खो डाला तो रब ने उसे 2 सांसों की इजाज़त दी एक सांस सर्दी में एक सांस गर्मी में....

दोज़ख़ 2 मर्तबा सांस लेती है और छोड़ती है और ओलमा फ़रमाते है कि जब वो सांस खिंचती है तो दुनिया मे सर्दी क़ायम होती है और जब वह सांस छोड़ती है तो गर्मी क़हर बरपाती है...

🖌📚 (अबु दाउद , मुस्लिम शरीफ़, बुख़ारी शरीफ़, निसाई,बेहिक़ी/ जा-अल-हक़,सफ़ा-567)

No comments