शौहर या बीवी की नाफ़रमानी करना || Islam Me Shohar Ya Biwi Ki Nafarmani Karna Kaisa hai

शौहर या बीवी की नाफ़रमानी करना :

Islam Me Shohar Ya Biwi Ki Nafarmani Karna Kaisa hai:

हज़रते उमर रदीयल्लाहो तआला अन्हो  से रवायत है कि हुज़ूर मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया :- "तुम को नही मअलूम औरत के लिए शिर्क के बाद सबसे बड़ा गुनाह शौहर की नाफ़रमानी है".....

आज के दौर में फ़िल्मी और tv ड्रामों और ग़लत सोहबत का असर ये देखने को मिलता है कि औरत अपने शौहर से बढ़ी ही बदतमीज़ी से पेश आती है...उसकी नाफ़रमानी करती है और बात-बात पर लड़ने के लिए तैयार रहती है उन्हें चाहिए कि इस हदीस से सबक़ हासिल करें और फ़िल्मी या tv ड्रामों से नही बल्कि शरीअत और दिनी ऐतबार से अच्छी बीवी बने...

नोट :- ये सच है कि बीवी को शौहर की नाफ़रमानी नही करनी चाहिए कि ये बहुत बड़ा गुनाह है लेकिन शौहर को चाहिए कि अपनी बीवी से हमेशा मुहब्बत शफ़क़त से पेश आये, बिला वजह न डांटे और न ग़लत अल्फ़ाज़ कहे...आज के दौर में शौहर सिर्फ़ अपने हक़ जताते है बीवी के हक़ बिल्कुल भूल जाते है जो सरासर ग़लत है...

आख़री ख़ुत्बे में मुस्तफ़ा जाने रहमत ﷺ ने फ़रमाया :- "औरतों के मुआमले मे अल्लाह से डरो , इनपर ज़ुल्म मत करो ये अल्लाह के लिए तुमपर हलाल हुई है "

📚  गुनयतुततालीबीन,सफ़ा-114/करीनये ज़िन्दगी,सफ़ा-120 

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