हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम ।। Biography of Hazrat Ayyub Alaihissalam



Hazrat Ayyub Alaihissalam: 

हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम के वालिद का नाम मूस या अनूस है जो कि हज़रत इस्हाक़ अलैहिस्सलाम के बेटे ईस की औलाद से हैं,आपकी वालिदा हज़रत लूत अलैहिस्सलाम की औलाद से हैं बल्कि बाज़ ने हज़रत लूत अलैहिस्सलाम को आपका नाना लिखा है,आपकी बीवी का नाम रहमा या रहमत था इसमें इख्तेलाफ है कि रहमत हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम की बेटी थीं या आपके बेटे अफराईम की बेटी मगर ज़्यादा सही क़ौल यही है कि वो हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम के बेटे की बेटी हैं

📕 तज़किरातुल अम्बिया,सफह 189

हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम का सिलसिलाये नस्ब कुछ इस तरह है अय्यूब बिन मूस बिन रूह बिन ईस बिन इस्हाक़ बिन हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम

📕 अलइतक़ान,जिल्द 2,सफह 178

जब अल्लाह ने आपको आज़माईश में मुब्तिला किया उस वक़्त आपकी उम्र 70 या 80 साल थी और आपके पास कसीर मालो दौलत थी खेती-बाड़ी बाग़ हर किस्म के जानवर भेड़ बकरियां गाय भैंस ऊंटो की कसरत थी सिर्फ 500 जोड़ियां तो बैलों की थी जो कि खेतों में हल चलाने के लिए रहते थे,उसके अलावा 500 गुलाम और उन सबकी ज़ौजा और उनकी औलाद भी आपकी खिदमत में हर वक़्त रहते थे,मौला ने आपको 7 बेटे और 7 बेटियां अता फरमाई थी,अल्लाह तबारक व तआला अपने बंदों को कई तरह से आज़माता है कभी तो मालो दौलत देकर कि बंदा कितना शुक्र अदा करता है और कभी मुसीबत व परेशानी में डालकर कि मेरा बन्दा कितना सब्र करता है तो अल्लाह ने आपका इम्तिहान इस तरह लिया कि पहले तो आपका मकान ज़लज़ले की ज़द में आया जिससे कि आपकी सारी औलाद उसमें दबकर मर गयी आपके सारे जानवर सैलाब में बह गए जायदाद अज़ीज़ों ने अपने कब्ज़े में ले ली चुंकि आप बीमार भी हो गए यहां तक कि आपके जिस्म पर आबले पड़ गए जिससे आपको बेहद तकलीफ रहती थी लिहाज़ा आपको बस्ती में रहने भी ना दिया गया,और इस तरह बीमारी की हालत में आप 7 या 13 या 18 साल रहे मगर राजेह क़ौल 18 साल का ही है,ख्याल रहे कि अम्बिया अलैहिस्सलाम कभी भी ऐसी बीमारी में मलहूज़ नहीं रहे जिससे इंसान को कराहत होती हो जैसे कि कोढ़ वगैरह सो जिसने हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम को कोढ़ का मर्ज़ लिखा वो निहायत बे अस्ल रिवायत है आपके जिस्म पर सिर्फ आबले यानि छाले पड़ गए थे और सिवाये आंख ज़बान और दिल के पूरे जिस्म पर इसका असर था और दूसरी रिवायत आपके ज़ख्मो पर कीड़े पड़ जाने का जो वाक़िया है उसे भी बाज़ उल्मा सनद का मुहताज बताते हैं मगर अल्लामा राज़ी ने तफसीरे कबीर में लिख है कि हज़रत अम्बिया अलैहिस्सलाम पर मुसीबतें आम इंसानों के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा होती हैं लिहाज़ा इससे इंकार नहीं किया जा सकता इसके अलावा तफसीरे बैदावी तफसीरे बग़वी तफसीरे मज़हरी में भी इसकी तशरीह है कि जब भी कोई कीड़ा आपके जिस्म मुबारक से गिर जाता था तो आप उसे उठाकर फिर वहीं रख देते थे और कहते थे कि अल्लाह ने जहां से तेरा रिज़्क़ लिखा है उसे खा

📕 तज़किरातुल अम्बिया,सफह 190-193

📕 अलइतक़ान,जिल्द 2,सफह 178

ⓩ इस बीमारी की हालत में जब कि आपका साथ सबने छोड़ दिया था मगर वो अल्लाह की नेक बन्दी यानि आपकी बीवी हमेशा आपके साथ ही रहीं और आपकी खातिर में लगी रहीं मगर एक रोज़ किसी बात पर आप उनसे नाराज़ हो गए और आपको मारने की कसम खा बैठे मौला तआला क़ुर्आन मुक़द्दस में आपका ये वाकिया युं इरशाद फरमाता है कि

कंज़ुल ईमान - अपने हाथ में एक झाड़ू लेकर उससे मार दे और कसम ना तोड़ 

📕 पारा 23,सूरह स्वाद,आयत 44

तफसीर - वाक़िया कुछ यूं है कि हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम जब सख्त बीमार थे तो एक मर्तबा हज़रत ने अपनी नेक बीवी को आवाज़ दी मगर उन्हें आने में कुछ देर हो गई जिस पर आप नाराज़ हो गए और ये कसम खा बैठे कि जब मैं अच्छा हो जाऊंगा तो तुझे लकड़ियों से मारूंगा,फुक़्हा आपकी नाराज़गी की 2 वजह फरमाते हैं पहली तो ये कि हो सकता है कि बीमारी की वजह से आपके मिज़ाज में सख्ती आ गयी हो और दूसरी ये फरमाते हैं कि शैतान तबीब की सूरत में आपकी बीवी के पास आया और उनको दवा देकर बोला कि इसे अपने शौहर को खिला देना और जब वो अच्छे हो जायें तो बस मेरा शुक्रिया अदा कर देना,उन्होंने इसको मामूली बात समझकर दवा ले ली मगर जब ये बात उन्होंने हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम को बताई तो आप समझ गए कि शैतान उन्हें उनको इम्तिहान में कामयाब होते नहीं देख पा रहा है इसलिए इधर उधर के तीर चला रहा है और आपको अपनी बीवी की इसी बात पर गुस्सा आ गया जिस पर आपने कसम खा ली,मगर जब आप अल्लाह ने आपको शिफा दी तो अब उस नेक औरत को मारने के लिए आपको फिक्र हुई कि जिसने मेरी इतनी खातिर कि मैं उसे कैसे मारूं तब मौला ने हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम को उनके पास भेजा और ये हीला बताया कि झाड़ू भी लकड़ी के तिनकों से ही बनी होती है तो आप उन्हें झाड़ू से हलके से मार दीजिये कि आपकी कसम भी पूरी हो जायेगी और उन्हें तकलीफ भी नहीं होगी 

📕 तज़किरातुल अम्बिया,सफह 191

जब आप अपने इम्तिहान में कामयाब हो गये तो मौला ने आपको आपकी सारी मालो दौलत अता फरमाई और तमाम औलादों को ज़िंदा फरमा दिया बल्कि उतनी ही औलादें और अता फरमाई 

📕 तफसीरे सावी,जिल्द 3,सफह 72

हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम आपकी उम्र 93 साल हुई और आपका मज़ार मुल्के शाम के किसी गांव में है 

📕 अलइतक़ान,जिल्द 2,सफह 178 

📕 तफसीरे सावी,जिल्द 2,सफह 27 

📕 उम्दतुल क़ारी,जिल्द 2,सफह 51

ⓩ मेरे आलाहज़रत से किसी ने सवाल किया कि जब अम्बिया व औलिया अल्लाह के महबूब हैं तो उन्हें ईसाले सवाब की क्या ज़रूरत है तो उसके जवाब में आप फरमाते हैं कि "एक मर्तबा हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम गुस्ल फरमा रहे थे कि सोने की बारिश होने लगी आप चादर फैलाकर सोना उठाने लगे,ग़ैब से निदा आई कि ऐ अय्यूब क्या हमने तुझको इससे ज़्यादा ग़नी ना किया तो आप फरमाते हैं कि बेशक तूने मुझे ग़नी किया मगर तेरी बरकत से मुझे किसी वक़्त ग़िना नहीं" मतलब ये कि हमारे ईसाले सवाब की बेशक उनको हाजत नहीं है मगर हमारी दुआओं के बदले मौला उनको जो इनामात और दरजात अता फरमाता है वो ज़रूर उसके ख्वाहिश मंद होते हैं,और इसमें ज़र्रा बराबर भी शक नहीं कि जो खुदा हमारे ईसाले सवाब के बदले अम्बिया व औलिया के दरजात को बुलंद करता है क्या वो उनको भेजे गये हमारे तोहफों के सदक़े हमारी मग्फिरत ना फरमायेगा यक़ीनन यक़ीनन फरमायेगा,मगर बख्शा वही जायेगा जो ईसाले सवाब वाला होगा वरना मुनकिर के लिए तो ना यहां राहत है ना वहां राहत होगी

📕 अलमलफूज़,हिस्सा 1,सफह 63


hazrat ayyub alaihissalam  ke waalid ka naam moos ya anoos hai jo ki hazrat ishaaq alaihissalam ke bete ees ki aulaad se hain,aapki waalida hazrat loot alaihissalam ki aulaad se hain balki baaz ne hazrat loot alaihissalam ko aapka naana likha hai,aapki biwi ka naam rahma ya rahmat tha isme ikhtelaf hai ki rahmat hazrat yusuf alaihissalam ki beti thin ya aapke bete afrayeem ki beti magar zyada sahi qaul yahi hai ki wo hazrat yusuf alaihissalam ke bete ki beti hain

📕 Tazkiratul ambiya,safah 189

hazrat ayyub alaihissalam ka silsilaye nasb kuchh is tarah hai ayyub bin moos bin rooh bin ees bin ishaaq bin hazrat ibraheem alaihissalam

📕 Alitqaan,jild 2,safah 178

Jab ALLAH ne aapko aazmayish me mubtela kiya us waqt aapki umr 70 ya baaz 80 saal thi aur aapke paas kaseer maalo daulat thi kheti baadi baag har kism ke jaanwar bhed bakriyan gaaye bhains oonto ki kasrat thi sirf 500 jodiyan to bailon ki thi jo ki kheton me hal chalane ke liye rahte the,uske alawa 500 ghulam aur un sabki zauja aur unki aulaad bhi aapki khidmat me har waqt rahte the,maula ne aapko 7 bete aur 7 betiyan ata farmayi thi,ALLAH tabarak wa taala apne bando ko kayi tarah se aazmata hai kabhi to maalo daulat dekar ki banda kitna shukr ada karta hai aur kabhi musibat wa pareshani me daalkar ki mera banda kitna sabr karta hai to ALLAH ne aapka imtehaan is tarah liya ki pahle to aapka makaan zalzale ki zad me aaya jisse ki aapki saari aulaad usme dabkar mar gayi aapke saare jaanwar sailab me bah gaye jaaydad azizon ke apne qabze me le li chunki aap beemar bhi ho gaye lihaza aapko basti me rahne bhi na diya gaya,garz ki aapke jism par aable pad gaye jisse aapko behad taqleef rahti thi aur is tarah bimari ki haalat me aap 7 ya 13 ya 18 saal rahe magar raajeh qaul 18 saal ka hi hai,khayal rahe ki ambiya alaihissalam kabhi bhi aisi bimari me malhooz nahin rahe jisse insaan ko karahat hoti ho jaise ki kodh wagairah so jisne hazrat ayyub alaihissalam ko kodh ka marz likha wo nihayat be asl riwayat hai aapke jism par sirf aable yaani chaale pad gaye the aur siwaye aankh zabaan aur dil ke poore jism par iska asar tha aur doosri riwayat aapke zakhmo par keede pad jaane ka jo waqiya hai use bhi baaz ulma sanad ka muhtaj batate hain magar allama raazi ne tafseere kabeer me likh hai ki hazraat ambiya alaihissalam par musibatein aam insaano ke muqaable kahin zyada hoti hain lihaza isse inkaar nahin kiya ja sakta iske alawa tafseere baidavi tafseere baghvi tafseere mazhari me bhi iski tashreeh hai ki jab bhi koi keeda aapke jism mubarak se gir jaata tha to aap use uthakar phir wahin rakh dete the aur kahte the ki ALLAH ne jahan se tera rizq likha hai use kha

📕 Tazkiratul ambiya,safah 190-193

📕 Alitqaan,jild 2,safah 178

ⓩ Is bimari ki haalat me jab ki aapka saath sabne chhod diya tha magar wo ALLAH ki nek bandi yaani aapki biwi hamesha aapke saath hi rahin aur aapki khaatir me lagi rahin magar ek roz kisi baat par aap unse naaraz ho gaye aur aapko maarne ki kasam kha baithe maula taala quran muqaddas me aapka ye waqiya yun irshaad farmata hai ki*

KANZUL IMAAN - Tum ek jhaadu lekar unko maar do aur apni kasam na todo

📕 Paara 23,surah swaad,aayat 44

*TAFSEER* - Waaqiya kuchh yun hai ki hazrat ayyub alaihissalam jab sakht beemar the to ek martaba hazrat ne apni nek biwi ko aawaz di magar unhein aane me kuchh deir ho gayi jispar aap naaraz ho gaye aur ye kasam kha baithe ki jab main achchha ho jaunga to tujhe lakdiyon se maarunga,fuqha aapki naarazgi ki 2 wajah farmate hain pahli ye ki ho sakta hai ki beemari ki wajah se aapke mizaaj me sakhti aa gayi ho aur doosri ye farmate hain ki shaitan tabeeb ki soorat me aapki biwi ke paas aaya aur unko dawa dekar bola ki ise apne shauhar ko khila dena aur jab wo achchhe ho jayein to bas mera shukriya ada kar dena,unhone isko maamuli baat samajhkar dawa le li magar jab ye baat unhone hazrat ayyub alaihissalam ko batayi to aap samajh gaye ki shaitan unhein unke imtihaan me kaamyaab hote nahin dekh pa raha hai isliye idhar udhar ke teer chala raha hai aur aapko apni biwi ki isi baat par gussa aa gaya jispar aapne kasam kha li,magar jab aap ALLAH ne aapko shifa di to ab us nek aurat ko maarne ke liye aapko fikr huyi ki jisne meri itne khaatir ki main use kaise maarun tab maula ne hazrat jibreel alaihissalam ko unke paas bheja aur ye heela bataya ki jhaadu bhi lakdi ke tinko se hi bani hoti hai to aap unhe jhaadu se halke se maar dijiye aapki kasam bhi poori ho jayegi aur unhein takleef bhi nahin hogi

📕 Tazkiratul ambiya,safah 191

Jab aap apne imtihan me kaamyab ho gaye to maula ne aapko aapki saari maalo daulat ata farmayi aur saari auladon ko zinda farma diya balki utni hi auladein aur ata farmayi

📕 Tafseere saavi,jild 3,safah 72

Hazrat Ayyub Alaihissalam ki umr 93 saal huyi aur aapka mazaar mulke shaam ki kisi gaanv me hai

📕 Alitqaan,jild 2,safah 178

📕 Tafseere saavi,jild 2,safah 27

📕 Umdatul qaari,jild 2,safah 51

ⓩ Mere Aalahazrat se kisi ne sawal kiya ki jab ambiya wa auliya ALLAH ke mahboob hain to unhein isaale sawab ki kya zarurat hai to uske jawab me aap farmate hain ki "ek martaba hazrat ayyub alaihissalam gusl farma rahe the ki sone ki baarish hone lagi aap chadar phailakar sona uthane lage,gaib se nida aayi ki ai ayyub kya humne tujhko isse zyada gani na kiya to aap farmate hain ki beshak tune mujhe gani kiya magar teri barkat se mujhe kisi waqt gina nahin" matlab ye ki hamare isaae sawab ki beshak unko haajat nahin hai magar hamari duaon ke badle maula unko jo inamaat ata farmata hai wo zaroor uske khwahish mand hote hain,aur isme zarra barabar bhi shaq nahin ki jo khuda hamare isaale sawab ke badle ambiya wa auliya ke darjaat ko buland karta hai kya wo unke sadqe hamari magfirat na farmayega yaqinan yaqinan farmayega,magar bakhsha wahi jayega jo isaale sawab waala hoga warna munkir ke liye to na yahan raahat hai na wahan raahat hogi.

📕 Almalfooz,hissa 1,safah 63

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