अल्लाह तआ़ला को ऊपर वाला कहना कैसा हैं (Allah Ko Upar Wala Kahne Ka Masla)


अल्लाह तआ़ला को ऊपर वाला कहना ?

Allah Ko Upar Wala Kahne Ka Masla

कुछ लोग अल्लाह तआ़ला का नाम लेने की बजाए उसको ऊपर वाला बोलते हैं! ये निहायत ग़लत बात है, बल्कि अगर ये अक़ीदा रखकर ये लफ़्ज़ बोले कि अल्लाह तआ़ला ऊपर है, तो ये "कुफ़्र" है! क्योंकि अल्लाह की ज़ात ऊपर, नीचे, आगे पीछे दाहिने बायें तमाम सिम्तों, हर मकान और हर ज़मीन से पाक है बरतर व बाला है! इन सब दिशाओं पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्खिन, ऊपर-नीचे, दाहिने आगे पीछे ज़मीन व मकान को उसी ने पैदा किया है तो अल्लाह तआ़ला के लिए यह नहीं बोला जा सकता कि वह ऊपर है या नीचे है, पूरब में है या पश्चिम में है क्यूंकि जब उसने इन चीजों को पैदा नहीं किया था इसकी हक़ीक़त को उसके अलावा कोई नहीं जानता! अगर कोई कहे कि अल्लाह तआ़ला अर्श पर है तो उससे पूछा जाए कि जब उसने अर्श को पैदा नहीं किया था तब वह कहां था? यूंही अगर कोई कहे कि अल्लाह तआ़ला ऊपर है तो उससे पूछा जाए कि ऊपर को पैदा करने से पहले वह कहां था?

हां ! अगर कोई शख़्स अल्लाह तआ़ला को "ऊपर वाला" इस ख़्याल से कहे कि वह सबसे बुलन्द-व-बाला है, और उसका मर्तबा सबसे ऊपर है, तो ये "कुफ़्र" नहीं है। लेकिन फिर भी अल्लाह तआ़ला को  ऐसे अलफ़ाज़ से बोलना सही नहीं, जिनसे कुफ़्र का शुबह (शक) हो, और अल्लाह तआ़ला को ऊपर वाला कहना बहरहाल मना है, जिस से बचना ज़रूरी है!

कुछ लोग अल्लाह तआ़ला को "मालिक" कहते हैं, कि मालिक ने चाहा तो ऐसा हो जाएगा या मालिक जो करेगा वह होगा वगै़रा वगै़रा! ये भी अच्छा तरीक़ा नहीं है। सबसे ज़्यादा सीधी सच्ची और अच्छी बात ये है कि "अल्लाह" को "अल्लाह" ही कहा जाए क्योंकि उसका नाम लेना सबसे अच्छी इबादत है, और उसका ज़िक्र करना ही इंसान का सबसे बड़ा मक़सद, और मुसलमान की पहचान ही यह है कि उसको अल्लाह का नाम लेने और सुनने में मज़ा आने लगे!

📚 (ग़लत फ़हमियां और उनकी इस्लाह-हिन्दी, सफ़ह- 12,13)

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