क्या मछली और अरहर की दाल पर फ़ातिहा नहीं होता (Kya Machhli Aur Arhar ki Daal Par fatiha Nahi Hoti?)

Kya Machhli Aur Arhar ki Daal Par fatiha Nahi Hoti?

क्या मछली और अरहर की दाल पर फ़ातिहा नहीं होता ?

_हमारे कुछ अ़वाम भाई अपनी नावाक़िफ़ी की वजह से यह ख़्याल करते हैं कि मछली और अरहर की दाल पर फ़ातिहा नहीं पढ़ना चाहिए, हालांकि यह उनकी ग़लतफ़हमी है। इस्लाम में जिस चीज़ को खाना हलाल और जाइज़ है तो उस पर फ़ातिहा भी पढ़ी जा सकती है।_

_लिहाज़ा अरहर की दाल और मछली चूंकि इनका खाना हलाल व जाइज़ है तो उन पर फ़ातिहा पढ़ने में हरगिज़ कोई बुराई नहीं है, बल्कि मछली तो निहायत उम्दा और महबूब ग़िज़ा है।_

_जैसा कि हदीस में आया है कि जन्नत में अहले जन्नत को पहली ग़िज़ा मछली ही मिलेगी और जो खाना जितना उम्दा और लज़ीज़ होगा, फ़ातिहा में भी उसकी फ़ज़ीलत ज़्यादा होगी।_ 

▪️(ग़लत फ़हमियां और उनकी इस्लाह, सफ़ह- 153)

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