हदीस शरीफ़ : मुआनक़ा करना यानी गले मिलना ये सुन्नत है (Muaanaka Yani Gale Milna Sunnat Hai)

Muaanaka Yani Gale Milna Sunnat Hai:

मुआनक़ा करना यानी गले मिलना ये सुन्नत है और सबसे पहले हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सलातो वस्सलाम ने किया था...

चुनांचे हज़रते तमीम दारी रदीयल्लाहो तआला अन्हो से रवायत है उनका बयान है कि मेने हुज़ूर रहमतें आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से मुआनक़ा यानी गले मिलने के बारे में पूछा तो आपने फ़रमाया (पिछली) क़ोमो का सलाम है और उनकी अच्छी (दोस्ती की) पहचान है...और बेशक़ सबसे पहले हज़रते इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने किया...

और हज़रते अबु हुरैरह रदीयल्लाहो तआला अन्हो से रवायत है उनका बयान है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने हज़रते इमाम हुसैन से मुआनक़ा किया....सुब्हानल्लाह 

📝 लिहाज़ा इससे मअलूम हुवा की मुआनक़ा करना यानी एक मुसलमान का दूसरे मुसलमान से गले मिलना अल्लाह के नबियों की सुन्नत है लिहाज़ा आज के दौर में जो नए फ़िरके इससे मना करते है वो नासमझ और जाहिल है इनकी किस्मत में नही ये नेअमत जो ऐसी अज़ीम सुन्नत से अवाम को रोकते है...यक़ीन जानिए जब किसी अपने को दुःखी देखे तो ज़ोर से भीच कर गले लगाए, उसे बहुत अच्छा महसूस होगा और आपको भी....

📚 उददुर्रूल मन्सूर,जिल्द-1 सफ़ा-218 / बुख़ारी शरीफ़,जिल्द-1,सफ़ा-530

No comments