मरीज़ की इयादत का सवाब (MARIJ KI IYADAT KA SAWAB)


MARIJ KI IYADAT KA SAWAB (मरीज़ की इयादत का सवाब) :

हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ رضي الله تعالي عنه से रिवायत है की हुज़ूर ﷺ ने इरशाद फ़रमाया :

मूसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह عزوجل से अर्ज़ की : मरीज़ की इयादत करने वाले को क्या अज्र मिलेगा ?

अल्लाह عزوجل ने इरशाद फ़रमाया : उसके लिये दो फ़रिश्ते मुकर्रर किये जाएंगे जो कब्र में हर रोज़ उसकी इयादत करेंगे हत्ता की क़यामत आ जाए।


BIMAR KO DUA KE LIYE KAHO (बीमार को दुआ के लिये कहो):

रसूले अकरम ﷺ का फरमाने अज़मत निशान है : जब तुम किसी बीमार के पास जाओ तो उसे अपने लिये दुआ के लिये कहो की उस की दुआ फिरिश्तो की दुआ की तरह है।

📗इब्ने माजा, जी.2 स.191 हदिष : 1441

📚बीमार आबिद, सफा 15-16


6 तरह की बीमारियो में मरने वाले शहीदों की निशान देही :

1. पेट की बिमारी में मरने वाला। (इसके हाशिये में सदरूश्शरीअह रहमतुल्लाह अलैह फरमाते है : इस से मुराद ऐसी बीमारी जिसमे पेट बढ़ जाता है और प्यास बहुत लगती है) या दस्त (मोशन) आना, दोनों क़ौल है और ये लफ्ज़ दोनों को शामिल हो सकता है लिहाज़ा उसके फ़ज़्ल से उम्मीद है की दोनों को शहादत का अज्र मिले।

2. जातुल जम्बा यानि पहलु या पसली के दर्द में मरने वाला।

3. सील (की इसमें फेफड़ो में ज़ख्म हो जाते और मुह से खून आने लगता है) इस में मरने वाला।

4. बुखार में मरने वाला।

5. मिर्गी में मरने वाला।

6. जो मरज़ में "ला-इलाह इल्ला अन्त सुब्हानक इन्नी कुन्तु मीनज़-ज़ालिमिन" 40 बार कहे और उसी मरज़ में मर जाए वो शहीद है और अच्छा हो गया तो उसकी मगफिरत हो जाएगी।

📕बहारे शरीअत, जी.1 स.857-863

📚बीमार आबिद, सफा 15

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