Aurat Ko Gair Mardo Se Baat Karna Kaisa Hai ? (औरत को गैर मर्दो से रूकना अंदाज..)


औरत को गैर मर्दो से रुकना अंदाज सही है या गलत??

कुरआन-ए-करिम मे फरमाया गया : मजबुरी के मौके पर उनसे (यानी गैर मर्दो से) बात करनी पड़ जाए तो जरा भी नर्म अंदाज मे बात न करे की, कोई कमजोर दिल मर्द दिल मे कुछ ख्याल कर बैठे, ऐसे मे यही हुक्म है की उनसे रूखे अंदाज मे बात करे की जिसकी वजह से ओ औरत के नर्म अंदाज की तरफ रागीब न हो और रूखे की वजह से दिल मे कुछ ख्याल ही न कर पाये,,

➤ "और अल्लाह से डरो (डरती हो) तो बात मे ऐसी नर्मी न करो की दिल का कोई रोगी कुछ लालच करे, हां अच्छी बात कहो और अपनी घरो मे ठहरी बेपर्दा न रहो जैसे अगली जाहीलियत की बेपर्दगी"

(सुरह अल-अहजाब-33, आयत-33-34,)


इस आयत से पता चला की कब्ले इस्लाम से (अगली जाहीलियत) उस दौर की औरतें इतराती घरो से निकल पड़ती थी,
अपनी जिनत और महासीन का इजहार करती थी, लिबास ऐसी पहनती थी की जिससे जिस्म का अजा अच्छी तरह न ढ़के.....
मगर अफसोस की आज फिर से जमाना उसी अगली जाहीलियत की ओर बढ़ता जा रहा है..!!

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