Tik-Tok, बे-हयाई और ईमान की बर्बादी,पोस्ट को शेयर करे ताकि हमारी और हमारी बहन बेटियों की इज्ज़त आबरू सलामत रहे.


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हज़रते सैफ यमानी अलैहिर्रहमा फरमाते हैं कि अल्लाह त'आला का किसी बन्दे से अपनी नज़रे रहमत को हटा लेना ये है कि बन्दा बेकार बातों में मशगूल हो जाये और जो अपने मक़्सद -ए- हयात को फरामोश करके अपनी उम्र का एक लम्हा भी गुज़रे तो उसे ज़रूर हसरतों और नदामतों का सामना करना पड़ेगा।
(وقت ہزار نعمت، ص114) 

वो नौजवान जिन्हें अपने दीन के लिये खून पसीना एक करना चाहिये था वो अपना ढेर सारा वक़्त इस बेहूदा चीज़ में बरबाद कर रहे हैं, वो लड़कियाँ जिन्हें अपनी आखिरत की फिक्र में डूबे रहना चाहिये था वो दुनिया को अपने पीछे खड़ा करने की धुन में हैं।

आपके पास अक़्ल है, सोचने समझने की सलाहियत है और वक़्त भी है लिहाज़ा गौर करें और पहचाने कि आपका फायदा कहाँ है। इस ऐप्लिकेशन की नुहूसत से बचें और अपना वक़्त अच्छे कामों में लगायें, क्योंकि ये वक़्त दुबारा नहीं मिलने वाला।

शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा जो अपने स्मार्ट फोन से सोशल मीडिया का इस्तिमाल करता हो और "टिक टोक" से बे खबर हो। अगर आप नहीं जानते तो हम बता दें कि ये एक सॉफ़्टवेयर है, जिसमें आप छोटी वीडियो (शॉर्ट क्लिप) बना सकते हैं और आम (शेयर) कर सकते हैं। इसमें मुख्तलिफ़ ढंग से वीडियो बनायी जाती हैं मसलन कोई नाच रहा है, कोई गा रहा है, कोई उछल कूद कर रहा है, तो कोई करतब दिखा रहा है।

इस ऐप्लिकेशन ने हर शख्स को ये मौक़ा दिया है कि बिना फिल्मों में काम किये आप अपने करतब, अपने हुनर और अपनी कला (आर्ट) को दुनिया के सामने पेश कर सकते हैं। छोटे हों या बड़े, लड़के हों या लड़कियाँ सब मदारी बने हुये हैं।

इसमें बे-हयाई, बे अदबी और बे शर्मी की हदें पार की जा रही हैं, ये सिर्फ एक ऐप्लिकेशन नहीं बल्कि ऐसा आला (टूल) है जो लोगों के अन्दर शर्मो हया नाम की चीज़ को खत्म कर रहा है। 
इस टिक टोक ने सिर्फ दो से तीन सालों में पाँच करोड़ से ज़्यादा लोगों को अपने जाल में फँसा लिया है! उन करोड़ों लोगों में ना जाने कितने मुस्लिम नौजवान और लड़कियाँ शामिल हैं जो दिन रात अपनी नुमाईश के नशे में चूर हैं।

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