जानिये ! अव्वल वक़्त पे नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत क्या है ?
अव्वल वक़्त नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत
हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद رضي الله عنه फ़रमाते है कि मेने हुज़ूर ﷺ से दरयाफ़्त किया:
या रसूलल्लाह ﷺ! कौन सा अमल अल्लाह को सबसे ज़्यादा पसन्द है?
फ़रमाया: वक़्त पर नमाज़ पढ़ना।
या रसूलल्लाह ﷺ! कौन सा अमल अल्लाह को सबसे ज़्यादा पसन्द है?
फ़रमाया: वक़्त पर नमाज़ पढ़ना।
✍सहीह बुखारी 504
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➤फरमाने मुस्तफा ﷺ: अव्वल वक़्त नमाज़ पढ़ना अल्लाह की ख़ुशनूदी का सबब है और आखिर वक़्त नमाज़ पढ़ना अल्लाह की तरफ से अफ्वो दरगुज़र का सबब है।
✍सुनने तिर्मिज़ी 172
➤फरमाने मुस्तफा ﷺ: अल्लाह ने 5 नमाज़े फ़र्ज़ की है, जिसने अच्छी तरह वुज़ू किया, वक़्त पर नमाज़ पढ़ी और दिल जमाकर अच्छी तरह रूकू और सज्दा किया तो अल्लाह ने ये वादा फ़रमाया है कि वो ऐसे आदमी को बख्श देगा और जो ऐसा न करे उसके लिये कोई वादा नहीं है।
✍अत्तरगिब् वत्तरहिब
➤फरमाने मुस्तफा ﷺ: जब बन्दा अव्वल वक़्त में नमाज़ पढ़ता है तो उसकी नमाज़ आसमानों की तरफ जाती है और वो नूरानी शक्ल में होती है यहाँ तक कि अर्शे इलाही तक जा पहुंचती है और नमाज़ी के लिये क़यामत तक दुआ करती रहती है कि अल्लाह तेरी हिफाज़त फरमाए जैसे तूने मेरी हिफाज़त की है और जब आदमी बे वक़्त नमाज़ पढ़ता है तो उसकी नमाज़ काली शक्ल में आसमानों की तरफ चढ़ती है जब वो आसमान तक पहुँचती है तो उसे पुराने कपड़े की तरह लपेटकर पढ़ने वाले के मुह पर मार दिया जाता है।
✍मकासफतुल क़ुलूब 391
✍नमाज़ की अहमियत 40
✍नमाज़ की अहमियत 40
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