HAZRAT IMAM HUSSAIN RADIALLAU TA'ALA ANHU (सय्यदना इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु)

"अल्लाहुम्मा सल्ले वसल्लिम वबारिक अलैहि व अलैहिम व अलल मौलस सय्यदिल इमामे हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु​."

नाम ----- सय्यदना इमाम ​हुसैन​ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु |

लक़ब ---- सिब्ते रसूल,रैहानतुर रसूल,सय्यदुश शुहदा |

वालिद ---- मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु |

वालिदा ---- खातूने जन्नत हज़रत फातिमा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा |
विलादत ---- 5 शाबान, 4 हिजरी |
बीवियां ---- 4,शहर बानो-रुबाब बिन्त इमरा अलक़ैस-लाईला बिन्त अबी मुर्राह अल थक़ाफी,उम्मे इस्हाक़ बिन्त तल्हा बिन उबैदुल्लाह |
औलाद ---- 6,हज़रत ज़ैनुल आबेदीन व हज़रते सकीना - शहर बानो से,हज़रत अली अकबर व फातिमा सुग़रा - लाईला से,हज़रत अली असगर व सुकैना - रुबाब से.
विसाल --- 10 मुहर्रम,61 हिजरी,जुमा
उम्र -- 56 साल 5 महीने 5 दिन

​आपकी सीरत एक पोस्ट में बता पाना नामुमकिन है मगर हुसूले फैज़ के लिए चंद हर्फ आपकी शान में लिखता हूं मौला तआला क़ुबूल फरमाये​|

आपके फज़ाइल में बेशुमार हदीसें वारिद हैं हुसूले बरकत के लिए चंद यहां ज़िक्र करता हूं :

➤​हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि हुसैन मुझसे है और मैं हुसैन से हूं और फरमाते हैं कि जिसने हुसैन से मोहब्बत की उसने अल्लाह से मोहब्बत की​ |
📕 मिशकातत,सफह 571
➤​हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि जो चाहता है कि जन्नती जवानों के सरदार को देखे तो वो हुसैन को देख ले​ |
📕 नूरुल अबसार,सफह 114
​➤हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने एक मर्तबा इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को देखकर फरमाया कि आज यह आसमान वालों के नज़दीक तमाम ज़मीन वालों से अफज़ल है​ |
📕 अश्शर्फुल मोअब्बद,सफह 65
​➤हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु पर अपने बेटे हज़रत इब्राहीम रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को क़ुर्बान कर दिया​|
📕 शवाहिदुन नुबुवत,सफह 305
➤हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि हसन के लिए मेरी हैबत व सियादत है और हुसैन के लिए मेरी ज़ुर्रत व सखावत है|
📕 अश्शर्फुल मोअब्बद,सफह 72
​➤इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु बहुत बड़ी फज़ीलत के मालिक हैं आप कसरत से नमाज़-रोज़ा-हज-सदक़ा व दीग़र उमूरे खैर अदा फरमाते थे,आपने पैदल चलकर 25 हज किये​ |
📕 बरकाते आले रसूल,सफह 145

करामात

➤अबु औन फरमाते हैं कि एक मर्तबा हज़रत इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का गुज़र कस्बा इब्ने मुतीअ के पास से हुआ,वहां एक कुंआ था जिसमे पानी बहुत कम रह गया था यहां तक कि डोल भी भरकर ऊपर ना आ पाता था जब लोगों ने आपको देखा तो पानी की किल्लत की शिकायत की तो आपने फरमाया कि एक डोल पानी लाओ जब पानी आ गया तो आपने उसमें थे थोड़ा सा मुंह में लिया और डोल में कुल्ली कर दी और फरमाया कि इसे कुंअे में डाल दो,जैसे ही कुंअे में वो पानी डाला गया कुंआ पानी से लबरेज़ हो गया और पहले से ज़्यादा ज़ायकेदार भी हो गया |
(📕 इब्ने सअद,जिल्द 5,सफह 144)

"​ये वही हुसैन बिन अली हैं जिन पर कर्बला में 3 दिन तक पानी बंद कर दिया गया मगर ये रब की रज़ा थी जिस पर आप राज़ी थे वरना कसम खुदा की आप ज़मीन पर एक ठोकर मार देते तो फुरात आपके खेमे से होकर बहती​|"

➤मैदाने कर्बला में एक जहन्नमी मालिक बिन उरवा ने आपके खेमो में आग जलती हुई देखी तो बेबाकी से कहा कि ऐ हुसैन तुमने तो जहन्नम से पहले ही आग जला ली इतना सुनना था कि आप जलाल में फरमाते हैं कि ज़ालिम क्या तेरा ये गुमान है कि हुसैन जहन्नम में जायेगा आपने दुआ की कि ऐ मौला इसे जहन्नम से पहले ही दुनिया की आग का मज़ा चखा,अभी ज़बान से ये निकला ही था कि उसका घोड़ा बिदका वो गिरा उसका पैर लगाम में उलझा और घोड़ा उसे घसीटते हुए एक आग की खन्दक में फेंक आया |
(📕 रौज़तुश शुहदा,सफह 230)

"कर्बला की ये करामत भी ज़ाहिर करती है कि आप मजबूर ना थे बल्कि मुखतार थे मगर बस वही कि खुदा की रज़ा में राज़ी थे​ |"