THE HOLY QURAN SHARIF ( क़ुर्आन शरीफ़ )


QURAN SHARIF



क़ुर्आन शरीफ़  में 114 सूरह हैं जिनमे 83 मक्का में नाज़िल हुई और 31 मदीना में,मक्का में नाज़िल होने वाली सबसे पहली सूरह सूरह इक़रा है और सबसे आखिर में सूरह मोमेनून और बाज़ ने सूरह अंकबूत को आखिरी बताया है और मदीना में नाज़िल होने वाली सबसे पहली सूरह सूरह मुतफ्फेफीन और आखिरी सूरह सूरह बराअत है जबकि इब्ने हजर की रिवायत है कि मदीना में नाज़िल होने वाली पहली सूरह सूरह बक़र है और वहीं तफसीरे नस्फी में सूरह क़द्र को पहली सूरह कहा गया है |

📕   अलइतक़ान,जिल्द 1,सफह 33/64
📕   तफसीरे सावी,जिल्द 1,सफह 3


➤क़ुर्आन की 6 सूरतें है तो रात में नाज़िल हुई जिनमे सूरह इनआम सूरह मरियम सूरह मुनाफेक़ून सूरह मुरसेलात सूरह फलक़ और 
सूरह नास है|  

📕   अलइतक़ान,जिल्द 1,सफह 28

➤ पूरे क़ुर्आन का नुज़ूल मक्का मुकर्रमा या मदीना तय्यबह में ही हुआ मगर सूरह बक़र की आखिरी 2 या 3 आयतें शबे मेराज में बगैर किसी वही के डायरेक्ट हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम पर नाज़िल हुई इसके अलावा 3 या 4 आयतें और भी हैं जिनका नुज़ूल ना तो आसमान में हुआ और ना ज़मीन पर बल्कि ये फिज़ा में ही नाज़िल हुई| 

📕   अलइतक़ान,जिल्द 1,सफह 31

➤ रात में नाज़िल होने वाली आयतों की तादाद 7 है और अलस सुबह नाज़िल होने वाली आयतें 2 हैं और हालते सफर में नाज़िल होने वाली आयतों की तादाद 39 है जबकि गारे हिरा में सूरह अलक़ की शुरू की 5 आयतें और गारे मिना में पूरी सूरह मुरसेलात नाज़िल हुई| 

📕  अलइतक़ान,जिल्द 1,सफह 28-35

➤ क़ुर्आन की 7 सूरह ऐसी हैं जो इससे पहले भी दूसरे अम्बिया पर नाज़िल हुई जिनमे सूरह आला हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम व हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम पर सूरह नज्म हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम पर इसी तरह सूरह आले इमरान तौरैत शरीफ में तैबा के नाम से सूरह कहफ तौरैत शरीफ में हायला के नाम से सूरह क़मर तौरैत शरीफ में अलमुबिदाह के नाम से सूरह मुल्क तौरैत शरीफ में अलमानिया के नाम से और सूरह यासीन तौरैत शरीफ में अतअमा के नाम से नाज़िल हुई इसके अलावा 14 आयतें भी हैं जो दीगर अम्बियाये किराम पर नाजिल हुई थीं और क़ुर्आन मुक़द्दस का वो हिस्सा जो सिवाए हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के किसी और पर नाज़िल ना हुआ वो सूरह फातिहा आयतल कुर्सी व सूरह बक़र की आखिरी 2 आयतें हैं| 

📕    अलइतक़ान,जिल्द 1,सफह 51-73
📕    मदारेजुन नुबूवत,जिल्द 1,सफह 228



➤ सूरह नज्म वो पहली सूरह है जिसका ऐलान हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने सबसे पहले मक्का में किया और यही वो सूरह है जिसमे आयते सज्दा पहली बार नाज़िल हुई और जब आयते सज्दा नाज़िल हुई तो मस्जिदे हराम में हर मुसलमान और काफिर सब ही सजदे में चले गए सिवाये कुछ काफिरों के जिनमे वलीद बिन मुग़ीरह या उबई बिन खल्फ या उतबा बिन रबिया भी था| 

📕   अलइतक़ान,जिल्द 1,सफह 35
📕   मदारेजुन नुबूवत,जिल्द 2,सफह 65




​यहां एक मसला भी समझ लीजिये कि हर वो नमाज़ जिसमे आहिस्ता क़िरात की जाती है मसलन ज़ुहर व अस्र और नमाज़े जुमा व ईदैन में आयते सज्दा का पढ़ना मकरूह है यानि बेहतर नहीं​ |