इंसान के अलावा ये जानवर भी जन्नत में जायगे।





इंसान के अलावा ये कुछ जानवर भी जन्नत में जायेंगे इनकी पूरी तफसील मुलाहज़ा फरमायें।





1. मेरे आक़ा सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम का बुराक़ और ऊंटनी -
सफरे मेराज में हुज़ूर जिस बुराक़ से अर्शे मुअल्ला तक पहुंचे वो बुराक़ और आपकी अज़्बा नामी ऊंटनी जन्नत में जायेगी

3. हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम का मेंढ़ा - 

हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने रब के हुक्म पर अपने बेटे हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम की कुर्बानी पेश करने का फैसला किया मगर वो सिर्फ आपका इम्तिहान था जब आपने अपने प्यारे बेटे के गले पर छुरी चलाई तो मौला के हुक्म से हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम जन्नत से जो मेंढ़ा लाये और जिस पर छुरी चली वो मेंढ़ा भी जन्नत में जायेंगा 

4. हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम की चींटी और हुदहुद - 

एक मर्तबा हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम एक अज़ीम लशकर के साथ मुल्के शाम के जंगलों से गुज़रे तो एक चींटी जो कि अपने क़ौम की सरबराह थी उसने अपनी क़ौम से मुखातिब होकर फरमाया कि अपने बिलों में चली जाओ कहीं ऐसा ना हो कि हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम और उनका लश्कर तुम्हे कुचल डाले और उन्हें खबर भी ना हो,जब उसने ये बात कही तो लश्कर उस वक़्त तक़रीबन 5 किलोमीटर दूर था मगर उसकी बात हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने सुन ली और उसकी दानाई पर मुस्कुरा दिए,ये चींटी भी जन्नत में जायेगी,इमाम राज़ी फरमाते हैं कि चींटी का ये बयान करना कि उनसे अगर ऐसा होगा भी तो बेखबरी में होगा क्योंकि कोई नबी जान-बूझकर हरगिज़ ऐसा कर ही नहीं सकता जो कि क़ुरान में मौजूद है ये बताता है कि अम्बिया इकराम हरगिज़ गुनहगार नहीं हो सकते लिहाज़ा जो लोग अम्बिया को मासूम नहीं समझते उनकी अक्ल चींटी से भी कम है





5. हुदहुद - हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम के लश्कर में तमाम जानवर भी मौजूद थे जिनमे परिंदों का सरदार एक हुदहुद था जिसका नाम याफूर था,ये ज़मीन के अंदर का पानी देख लेने की सलाहियत रखता था जिस जगह पानी होता ये अपनी चोंच रगड़ता और जिन्न उस जगह को खोदकर कुंआ बना देते,ये एक मर्तबा बग़ैर बताये ग़ैर हाज़िर रहा तो हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने इताबन इसके पर उखाड़ लेने को कहा जब ये वापस आया तो माफ़ी चाही और बिलक़ीस की खबर दी जिस पर हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने इसे माफ़ कर दिया,ये हुदहुद भी जन्नत में जाएगा

6. हज़रत उज़ैर अलैहिस्सलाम का गधा

हज़रत उज़ैर अलैहिस्सलाम को रब ने अपनी क़ुदरते कामिला पर मुत्तेला करना चाहा तो एक मर्तबा आप अपने गधे को लेकर एक पेड़ के नीचे सोए सुबह का वक़्त था और आपकी रूह क़ब्ज़ कर ली गयी,100 साल गुज़र गए इस बीच बादशाह बख्ते नसर यानि शद्दाद की भी मौत हो गयी और एक बार फिर बनी इस्राईल बैतुल मुक़द्दस में काबिज़ हुए,100 साल के बाद रब ने हज़रत उज़ैर अलैहिस्सलाम को ज़िंदा फरमाया तो शाम का वक़्त था रब ने आपसे पूछा कि कितनी देर यहां ठहरे तो आपने वक़्त देखकर कयासन फरमाया कि थोड़ी देर,तो रब फरमाता है कि 100 साल गुज़र चुके,आपके खाने पीने का सामान बिलकुल भी ख़राब ना हुआ था मगर आपका गधा गल सड़कर रेज़ा रेज़ा हो चुका था फौरन ही आपके सामने उसकी सारी हड्डियां मिली उस पर गोश्त चढ़ा खाल चढ़ी और वो चीखने लगा,आप उसे लेकर जब अपनी बस्ती में पहुंचे तो आप खुद 40 साल के थे आपके बेटे की उम्र 118 साल की थी और आपके पोते भी बूढ़े हो चुके थे,आपकी दुआ से आपकी एक कनीज़ जो कि उस वक़्त 130 की थी नाबीना हो चुकी थी आंख वाली हो गयी और आपको पहचाना,जब बनी इस्राईल ने देखा तो आपको खुदा का बेटा कहने लगे और ईमान से खारिज हो गए,आपका यही गधा भी जन्नत में जाएगा 

7. हज़रत सालेह अलैहिस्सलाम की ऊंटनी -
क़ौमे समूद में रब ने हज़रत सालेह अलैहिस्सलाम को भेजा जब आपने उनको तब्लीग की तो उन्होंने आपसे मोजज़ा मांगा जिस पर आपने उनके कहने पर पहाड़ से एक हामिला ऊंटनी निकाल दी जिस पर कई लोग ईमान ले आये और बहुत से रुके रहे,लोगों के सामने ही उस ऊंटनी ने बच्चा जना जो 70 ऊंटनियों के जितना बड़ा था,क़ौम के पानी के लिए एक नहर थी जिससे वो ऊंटनी एक दिन छोड़कर सारा पानी पी जाती और एक दिन पूरा क़ौम पीती,ये बात क़ौम पर गिरां गुज़री और सबने मिलकर उसको मार दिया जिस पर आसमान से उन पर अज़ाब उतरा और सबके सब हलाक हो गए,ये ऊंटनी भी जन्नत में जायेगी 



8. हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम की मछली - 

एक क़ौम नेनवा इलाक़े मे बसी थी जो कुफ्रो शिर्क में मुब्तेला थी जिस पर रब ने हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम को तब्लीग के लिए भेजा,आपने उनको तब्लीग की और ये भी फरमाया कि अगर 40 दिन में तुम नहीं बदलोगे तो आज से चालीसवें दिन अज़ाब आयेगा,जब 35 दिन हो गए तो आसमान का रंग बदल गया आप समझ गए कि अब अज़ाब आयेगा और आपने अपने इज्तेहाद से फैसला किया कि मुझ पर रब तंगी ना करेगा और आप बस्ती छोड़कर चले गए,इधर अज़ाब की अलामत देखकर क़ौम का बुरा हाल हो गया और सब रो रोकर माफ़ी मांगने लगे रब को उन पर रहम आ गया और अज़ाब को टाल दिया गया,हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम जब कश्ती पर बैठकर बीच दरिया पहुंचे तो कश्ती अचानक रुक गयी,उस वक़्त दस्तूर के मुताबिक ये ख्याल किया जाता था कि अगर कोई ग़ुलाम अपने आका को छोड़कर जा रहा हो तो कश्ती किनारे पर नहीं लगती,तमाम कश्ती वालों ने क़ुरा निकाला तो तीनो मर्तबा हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम का नाम ही आया आपने सोचा कि मेरी वजह से ये लोग क्यों मुसीबत में रुके रहे और आप दरिया में कूद गए रब ने एक मछली को इल्हाम किया कि हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम को अपने पेट में रखे मगर एक ख़राश तक ना आने पाए,ये एक यार का यार पर इताब था किसी दूसरे को मजाल नहीं कि उन पर ऐतराज़ करे,मछली तीन रोज़ तक आपको पेट में लिए दरिया में घूमती रही फिर आपने वो दुआ फरमाई जिसे आयते करीमा कहा जाता है जिसकी बरक़त से मछली आपको किनारे पर छोड़ आयी,आपकी यही मछली भी जन्नत में जायेगी 

9. असहाबे कहफ़ का कुत्ता

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के ज़माने में एक नेक शख्स था जिसका नाम बलअम बिन बावर था,ये बहुत बड़ा ज़ाहिद आलिम सूफ़ी और मुस्तजाबुद दावात था यानि इसकी हर दुआ क़ुबूल होती थी,ये ज़मीन पर बैठे बैठे अर्शे आज़म देख लेता था इसके 12000 तलबा थे इस्मे आज़म जानता था गर्ज़ कि इंतेहाई उरूज पर था,जब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम बनी इस्राईल को लेकर शहर कुनआन में दाखिल हुए तो कुनानी भागते हुए बलअम बिन बावर के पास पहुंचे और कहा कि वो हमारी हुक़ूमत पर क़ाबिज़ होना चाहते हैं लिहाज़ा तुम उनके लिये बद्दुआ करो पहले तो इसने काफी मना किया मगर बाद में कसीर माल की लालच में आकर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के लिए बद्दुआ करने को तैयार हो गया,जब इसने बद्दुआ करनी शुरू की तो जो कुछ हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के लिए कहना चाहता क़ुदरते खुदावन्दी से खुद उसका नाम निकलता आखिरकार उसकी ज़बान सीने पर आ पड़ी और वो कुत्ते की तरह हांपने लगा इस्मे आज़म भूल गया और सबने देखा कि उसके सीने से एक सफ़ेद कबूतर की मानिंद कुछ चीज़ निकलकर उड़ गयी तो लोगों ने जान लिया कि इसका ईमान सल्ब हो गया,और वो इसी तरह ज़िल्लत की ज़िंदगी गुज़ारते हुए मरा,असहाबे कहफ़ का जो कुत्ता जन्नत में जाएगा वो बलअम बिन बावर की शक्ल में जन्नत में जाएगा और बलअम बिन बावर उस कुत्ते की शक्ल में जहन्नम में 

10. बनी इस्राईल की गाय - 

क़ुरान में सूरह बक़र को बक़र यानि गाय वाली सूरह इसलिए कहा जाता है कि इसमें हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम और एक गाय का ज़बरदस्त वाक़िया है,जो कि आयत नं0 67 से 73 तक है,बनी इस्राईल में एक नेक शख्स था जिसका एक छोटा सा बेटा था,उस शख्स ने एक बछिया बड़ी मुहब्बत से पाली थी,जब उसकी मौत का वक़्त करीब आया तो वो बछिया को लेकर एक जंगल में गया और उसको मौला के सुपुर्द करके वहीं छोड़ आया कि जब मेरा बेटा जवान हो जाए तो ये उसके काम आए,वो तो मर गया और गाय जंगल में और उसका बेटा मां के पास परवरिश पाता रहा,लड़का भी नेक और परहेज़गार था जब वो बड़ा हो गया तो उसकी मां ने उससे कहा कि तेरे बाप ने उस जंगल में तेरे लिए एक गाय छोड़ी है और उसकी निशानियां बताई तू जाकर उसे ले आ,लड़का गया और पहचान कर गाय ले आया,अब उसकी मां ने कहा कि इसे बाज़ार ले जा और 3 अशर्फियों से कम में हरगिज़ न बेचना और बेचने से पहले मुझे ज़रूर बता देना,लड़का गया और उसे एक खरीदार मिला उसने कीमत पूछी इसने 3 अशर्फी बताया और मां की इजाज़त शर्त है उसने कहा कि 6 दूंगा मगर मां से ना पूछ,लड़के ने नहीं बेचा और वापस आ गया,सारा माजरा मां से कहा तो मां ने कहा कि 6 अशर्फी में बेच देना मगर सौदा होने से पहले मुझसे पूछ लेना,लड़का फिर बाज़ार गया फिर वही गाहक मिला अब उसने 12 अशर्फियां देने को कहा मगर मां से ना पूछे,लड़का फिर वापस आ गया,उसकी मां अक़लमंद थी वो समझ गयी कि ये गाहक कोई आम आदमी नहीं बल्कि फ़रिश्ता है जो इम्तिहान लेने की गर्ज़ से आया है,उसने लड़के को फिर बाज़ार भेजा और कहा कि जाकर उनसे पूछ कि हम गाय बेचें कि रोके रहें,लड़का गया तो उस फ़रिश्ते ने कहा कि अपनी मां से कहना कि अभी जल्दी न करे कि अनक़रीब बनी इस्राईल को इस गाय की सख्त ज़रूरत पड़ने वाली है और जब वो इसको खरीदना चाहें तो कीमत ये तय करना कि पूरी खाल को सोने की अशर्फियों से भर दिया जाए,ये कहकर वो ग़ायब हो गया लड़का घर को वापस आ गया



                       उधर बनी इस्राईल में आबील या आमील नाम का एक शख्स था जिसकी कोई औलाद नहीं थी,उसके चचाज़ाद भाई ने जायदाद की लालच में आकर उसका क़त्ल कर दिया और उसकी लाश को दूसरी बस्ती में फेंक आया,और दूसरे दिन खुद ही उसके खून का मुद्दई बनकर बस्ती वालों पर उसके चचा के क़त्ल का मुक़दमा करके उनसे उसके खून का बदला यानि खून बहा लेना चाहा,वहां के लोगों से जब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने पूछा तो उन लोगों ने साफ़ इनकार कर दिया और आपसे दुआ की दरख्वास्त की कि आपही कुछ हल फरमायें,आपने बारगाहे खुदावन्दी में दुआ की तो मौला फरमाता है कि ऐ मूसा इनसे कह कि एक गाय ज़बह करके उसका गोश्त इस मक़तूल की लाश पर मारें तो लाश खुद ही ज़िंदा होकर अपने क़ातिल का नाम बताएगी,आपने बनी इस्राईल को रब का ये फरमान सुना दिया जिस पर वो कहने लगे कि आप हमसे मज़ाक कर रहे हैं हम आपसे क़ातिल का सुराग चाह रहे हैं और आप हमें गाय ज़बह करने का हुक्म दे रहे हैं इस पर आप फरमाते हैं कि मेरे रब ने मुझे ऐसा ही हुक्म दिया है तब वो सोचने लगे की शायद ये गाय कोई ख़ास गाय होगी और उसकी निशानियां पूछने लगे तो आप फरमाते हैं कि वो ना तो बिलकुल बूढ़ी हो और ना जवान बल्कि बीच की उम्र की हो,इससे बनी इस्राईल को तशफ्फी नहीं हुई और उन्होंने उसका रंग पूछा तो आप फरमाते हैं कि उसका रंग ज़र्द है जो देखने वालों को भला मालूम होता है इस पर भी उनकी समझ में नहीं आया और जानकारी चाही तो आप फरमाते हैं कि ना तो उससे खेती सैराब की गयी हो और ना ही उसने हल चलाया हो,और ना उसके जिस्म पर कोई दाग धब्बा हो तब बनी इस्राईल कहते हैं कि अब आपने पूरी बात बतायी अब हम ऐसी गाय को ढूंढ़ लेंगे,और बिल आखिर ढूंढ़ते ढूंढ़ते वो उसी लड़के के पास पहुंच गए जब उन्होंने गाय खरीदना चाहा तो उसने वही कीमत बता दी जो फ़रिश्ते ने कही थी,चूंकि बनी इस्राईल पर इलज़ाम आयद था और उनको इस इल्ज़ाम से बचना था तो उन्होंने इतनी भारी कीमत पर वो गाय खरीद ली और उसे ज़बह करके उसका गोश्त लाश पर मारा तो बहुकमे खुदावन्दी लाश ने फ़ौरन अपने क़ातिल यानि चचाज़ाद भाई का नाम बता दिया,अब उसके क़त्ल के जुर्म में उसका क़त्ल किया गया और उधर उस लड़के को रब की अता से बेशुमार दौलत मिल गई। 

📕 अलअश्बाह वन्नज़ायर,सफह 382 
📕 हाशिया 19,जलालैन,सफह 318 
📕 नुज़हतुल मजालिस,जिल्द 2,सफह 64 
📕 अलमलफ़ूज़,हिस्सा 4,सफह 75 
📕 क्या आप जानते हैं,सफह 123/156
📕 तज़किरातुल अम्बिया,सफह 182/197/222/224/254/324
📕 तफ़सीरे खज़ाएनुल इरफ़ान,पारा 1,सफह 14 
📕 तफ़सीरे नईमी,जिल्द 1,सफह 581
📕 क्या आप जानते हैं,सफह 156

इसके अलावा कुछ खूबसूरत और अच्छे जानवर भी जन्नत मे जायेंगे

📕 रूहुल मआनी,जिल्द 15,सफह 236| 





"Insaan ke alawa ye kuchh jaanwar bhi jannat me jaayenge inki poori tafseel mulahza farmayen."


1.   Mere Aaqa Sallallaho taala alaihi wasallam ka Buraq aur oontni:

safare meraj me huzoor jis buraq se arshe mualla tak pahunche wo buraaq aur aapki azba naami oontni jannat me jaaygi


3.   Hazrat Ismayeel alaihissalam ka mendha:


hazrat ibraaheem alaihissalam ne rub ke hukm par apne bete hazrat ismayeel alaihissalam ki qurbaani pesh karne ka faisla kiya magar wo sirf aapka imtihaan tha jab aapne apne pyare bete ke gale par chhuri chalayi to maula ke hukm se hazrat jebreel alaihissalam jannat se jo mendha laaye aur jispar chhuri chali wo mendha bhi jannat me jaayega


4.   Hazrat Suleman alaihissalam ki cheenti aur hudhud:


ek martaba Hazrat suleman alaihissalam ek azeem lashkar ke saath mulke shaam ke jangalon se guzre to ek cheenti jo ki apne qaum ki sarbarah thi usne apne qaum se mukhatib hokar farmaaya ki apne bilon me chali jao kahin aisa na ho ki Hazrat suleman alaihissalam aur unka lashkar tumhe kuchal daale aur unhe khabar bhi na ho,jab usne ye baat kahi to lashkar us waqt taqriban 5 kilometer door tha magar uski baat Hazrat suleman alaihissalam ne sun li aur uski daanayi par muskura diye,ye cheenti bhi jannat me jaayegi,imaam raazi farmate hain ki cheenti ka ye bayan karna ki unse agar aisa hoga bhi to bekhabri me hoga kyunki koi nabi jaan bujhkar hargiz aisa kar hi nahin sakta jo ki quran me maujood hai ye batata hai ki ambiya hargiz gunahgaar nahin ho sakte lihaza jo log ambiya ko masoom nahin samajhte unki aql cheenti se bhi kam hai


Hudhud hazrat suleman alaihissalam ke lashkar me tamaam jaanwar bhi maujood the jinme parindon ka sardaar ek hudhud tha jiska naam yaafoor tha,ye zameen ke andar ka paani dekh lene ki salahiyat rakhta tha jis jagah paani hota ye apni chonch ragadta aur jinn us jagah ko khodkar kunwa bana dete,ye ek martaba bagair bataye gair haazir raha to Hazrat suleman alaihissalam ne etaban iske par ukhaad lene ko kaha jab ye wapas aaya to maafi chaahi aur bilqees ki khabar di jispar Hazrat suleman alaihissalam ne ise maaf kar diya,ye hudhud bhi jannat me jaayega


6.   Hazrat Uzair alaihissalam ka gadha:


Hazrat uzair alaihissalam ko rub ne apni qudrate kaamila par muttaela karna chaha to ek martaba aap apne gadhe ko lekar ek ped ke neeche soye subah ka waqt tha aur aapki rooh qabz kar li gayi,100 saal guzar gaye is beech bakhte nasar yaani shaddaad ki bhi maut ho gayi aur ek baar phir bani israyeel baitul muqaddas me qaabiz hue,100 saal ke baad rub ne Hazrat uzair alaihissalam ko zinda farmaya to shaam ka waqt tha rub ne aapse poochha ki kitni der yahan thahre to aapne waqt dekhkar qayasan farmaya ki thodi der to rub farmaata hai ki 100 saal guzar chuke,aapke khaane peene ka saaman bilkul bhi kharab na hua tha magar aapka gadha gal sadkar reza reza ho chuka tha fauran hi aapke saamne uski saari haddiyan mili uspar gosht chadha khaal chadhi aur wo cheekhne laga,aap use lekar jab apni basti me pahunche to aap khud 40 saal ke the aapke bete ki umr 118 saal ki thi aur aapke pote bhi boodhe ho chuke the,aapki dua se aapki ek kaneez jo ki us waqt 130 ki thi naabeena ho chuki thi aankh waali ho gayi aur aapko pahchaana,jab bani israyeel ne dekha to aapko khuda ka beta kahne lage aur imaan se khaarij ho gaye,aapka yahi gadha bhi jannat me jaayega


7.   Hazrat Saaleh alaihissalam ki Oontni:


qaume samood me rub ne Hazrat saaleh alaihissalam ko bheja jab aapne unko tableeg ki to unhone aapse mojza maanga jispar aapne unke kahne par pahaad se ek haamila oontni nikaal di jispar kayi log imaan le aaye aur bahut se ruke rahe,logon ke saamne hi us oontni ne bachcha jana jo 70 oontniyon ke jitna bada tha,qaum ke paani ke liye ek nahar thi jisse wo oontni ek din chhodkar saara paani pi jaati aur ek din poori qaum peeti,ye baat qaum par giran guzri aur sabne milkar usko maar diya jispar aasman se unpar azaab utra aur sabke sab halaak ho gaye,ye oontni bhi jannat me jaayegi



8.   Hazrat Yunus alaihissalam ki machhli:


ek qaum nenwa ilaaqe ma basi thi jo kufro shirk me mubtela thi jispar rub ne Hazrat yunus alaihissalam ko tableeg ke liye bheja,aapne unko tableeg ki aur ye bhi farmaya ki agar 40 din me tum nahin badloge to aaj se chaaliswen din azaab aayga,jab 35 din ho gaye to aasmaan ka rang badal gaya aap samajh gaye ki ab azaab aayga aur aapne apne ijtehaad se faisla kiya ki mujhpar rub tangi na karega aur aap basti chhodkar chale gaye,idhar azaab ki alamat dekhlar qaum ka bura haal ho gaya aur sab ro rokar maafi maangne lage rub ko unpar raham aa gaya aur azaab ko taal diya gaya,Hazrat yunus alaihissalam jab kashti par baithkar beech dariya pahunche to kashti achanak ruk gayi,us waqt dastoor ke mutabiq ye khayal kiya jaata tha ki agar koi ghulam apne aaqa ko chhodkar jaa raha ho to kashti kinare par nahin lagti,tamaam kashti waalon ne quraa nikaala to teeno martaba Hazrat yunus alaihissalam ka naam hi aaya aapne socha ki meri wajah se ye log kyun musibat me ruke rahe aur aap dariya me kood gaye rub ne ek machhli ko ilhaam kiya ki Hazrat yunus alaihissalam ko apne pet me rakhe magar ek khraash tak na aane paaye,ye ek yaar ka yaar par etaab tha kisi doosre ko majaal nahin ki unpar aitraaz kare,machhli teen roz tak aapko pet me liye dariya me ghoomti rahi fir aapne wo dua farmaayi jise aayte karima kaha jaata hai jiski barqat se machhli aapko kinaare par chhod aayi,aapki yahi machhli bhi jannat me jaayegi


9.  Ashaabe kahaf ka kutta:


Hazrat Moosa alaihissalam ke zamane me ek nek shakhs tha jiska naam balam bin baawar tha,ye bahut bada zaahid aalim soofi aur mustajabud daawaat tha yaani iski har dua qubool hoti thi,ye zameen par baithe baithe arshe aazam dekh leta tha iske 12000 talba the isme aazam jaanta tha garz ki intihayi urooj par tha,jab Hazrat moosa alaihissalam bani israyeel ko lekar shahre kunaan me daakhil hue to kunaani bhaagte hue balam bin baawar ke paas pahunche aur kaha ki wo hamari huqumat par qaabiz hona chahte hain lihaza tum unke liye baddua karo pahle to isne kaafi mana kiya magar baad me kaseer maal ki laalach me aakar Hazrat moosa alaihissalam ke liye baddua karne ko tayyar ho gaya,jab isne baddua karni shuru ki to jo kuchh Hazrat moosa alaihissalam ke liye kahna chahta qudrate khuda wandi se khud uska naam nikalta aakhirkaar uski zabaan seene par aa padi aur wo kutte ki tarah haampne laga isme aazam bhool gaya aur sabne dekha ki uske seene se ek safed kabootar ki maanind kuchh cheez nikalkar udd gayi to logon ne jaan liya ki iska imaan salb ho gaya,aur wo isi tarah zillat ki zindagi guzaarte hue mara,ashaabe kahaf ka jo kutta jannat me jaayega wo balam bin baawar ki shakl me jannat me jaayega aur balam bin baawar us kutte ki shakl me jahannam me.


10. Bani Israyeel ki gaay.


📕 Al ashbah wan nazayar,safah 382

📕 Haashia 19,jalalain,safah 318
📕 Nuzhatul majalis,jild 2,safah 64
📕 Alamlfooz,hissa 4,safah 75
📕 Kya aap jaante hain,safah 123
📕 Tazkiratul ambiya,safah 182*197*222*224*254
📕 Tafseere saavi,jild 2,safah 94

➤Iske alawa kuchh khoobsurat aur achchhe jaanwar bhi jannat me jaayenge.


📕 Ruhul maani,jild 15,safah 236