AALAHAZRAT KI KARAMAT (आला हज़रत और एक गैर मुस्लिम जादूगर )




*हज़रत शाह माना मियां साहब* का बयान है *


के मेरे *मुर्शिद आला हज़रत सरकार* अपनी मस्जिद से नमाज़ पढ़ कर तशरीफ़ ला रहे थे
के मुहल्ला सौदागरान की गली में लोगों का हुजूम देखा
*आला हज़रत* ने दरयाफ़्त किया ये कैसा मजमा लगा है तो बताया गया के एक गैर मुस्लिम *जादूगर* अपना जादू दिखा रहा है
तीन , चार किलो पानी से भरा हुआ बर्तन कच्चे तागे से उठा रहा है
*आला हज़रत* सरकार भी इस मजमे की तरफ बढे
और उस *जादूगर* से फरमाने लगे : हम ने सुना है तीन , चार किलो पानी से भरा हुआ बर्तन कच्चे तागे से उठा लेते हो -?

उस ने कहा -- जी हाँ !

इरशाद फ़रमाया __ कोई और चीज़ भी उठा सकते हो -?
उसने कहा - लाइये !
जो चीज़ आप दें उठा सकता हूँ
*आला हज़रत* ने अपने जूते को पैर से निकालते हुए 【 आप नागरा जूता पहनते थे , जो मुश्किल से 50 ग्राम का होगा 】 फ़रमाया __
लो इस जूते को उठाना तो बढ़ी बात है , अपनी जगह से हटा कर ही दिखा दो -?

*जादूगर* ने बहुत कोशिश की लेकिन वह उस *नाअले मुक़द्दस* को अपनी जगह से हिला नहीं सका

*आला हज़रत* ने फिर इरशाद फ़रमाया --- अच्छा इस बर्तन ही को अब उठा कर दिखा दो -?
अब जो उसने बर्तन को उठाना चाहा , तो बर्तन भी नहीं उठ सका
वह *जादूगर* इस करामत को देख कर *आला हज़रत* के क़दमों पर गिर पढ़ा *और कलमा पढ़ कर मुसलमान हो गाय हुआ*
और *आला हज़रत* की बारगाह से *रूहानियत* की दौलत लेकर वापस हुआ ....../

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*तुमने बदमज़हबी से बचा कर शहा, दौलते दीन इस्लाम कर दी अता ,*


*गौसो , ख़्वाजा के हो मज़हर ओ जानशीं , सैय्यदी मुर्शदी शाह अहमद रज़ा...*💫