जानिए! हुज़ूर नबी ए करीम ﷺ ने किन लोगो को भीख देने से मना फरमाया है, जरूरी मसाइल है पढ़कर दूसरों को भी समझाएं...
दोस्तों हमारा इस्लाम एक बहुत ही प्यारा मजहब है जिसने हर इंसान, जानवर, पेड़ पौधे और तमाम मखलूक का ख्याल रखा है, और सबके हुकूक को भी अच्छे से हमें बताया गया है..
हमारे मजहब में गरीबों और फकीरों का भी ख्याल रखा गया है, आज हर मुसलमान किसी भी गरीब इंसान की हमेशा मदद करता है और सवाब की नीयत से भी करता है...
लेकिन हमें किन लोगो को भीख देना चाहिए है हम इस बात का ख्याल नहीं रख पाते है और किसी को भी पैसा वगैरा दे देते है... जो कि इस्लाम में ऐसा करना माना है..
नबी ए करीम ﷺ ने सवाल करने वाले (या'नी
भीख मांगने वाले) को कमा कर खाने की
अनोखी रहनुमाई फ़रमायी
एक बार रसूल ﷺ की ख़िदमत में किसी भिखारी 👳🏽♀ ने
सवाल किया।तो अल्लाह के नबी ने
फ़रमाया: क्या तेरे घर कुछ है?
अर्ज़ किया: सिर्फ़ एक कम्बल है जिसको आधा
बिछाता हूँ आधा ओढ़ता हूँ और एक प्याला है
जिससे पानी पीता हूँ।
फ़रमाया: वो दोनों ले आओ।
रसूल ﷺ ने मजमे से ख़िताब करके फ़रमाया : इसे
कौन ख़रीदता है?
एक ने अर्ज़ किया कि मैं 1
दिरहम से लेता हूँ ,
फ़िर दो तीन बार फ़रमाया
कि दिरहम से ज़्यादा कौन देता है ?
दूसरे ने अर्ज़ किया: मैं 2 दिरहम में ख़रीदता हूँ ,
रसूल ﷺ ने वोह दोनों चीज़े उन्ही को अता
फ़रमा दीं
और यह 2 दिरहम उस भिखारी को देकर
फ़रमाया कि एक का ग़ल्ला (अनाज)🥙 ख़रीद कर घर में
डालो दूसरे दिरहम की कुल्हाड़ी ⛏ ख़रीद कर मेरे
पास लाओ ।
फ़िर उस कुल्हाड़ी में अपने मुबारक हाथ से दस्ता
डाला और फ़रमाया: जाओ लकड़ियां काटो
और बेचो और 15 रोज़ तक मेरे पास न आना
वो
भिखारी 15 रोज़ तक लकड़ियां काटते और बेचते
रहे 15 रोज़ के बाद जब बारगाहे नबवी मे हाज़िर
हुएे तो उनके पास खाने पीने के बाद 10 दिरहम बचे
थे उसमें से कुछ का कपड़ा ख़रीदा कुछ का ग़ल्ला।
रसूल ﷺ ने फ़रमाया, यह मेहनत तुम्हारे लिए मांगने
से बेहतर है।
(इब्ने माजाह जिल्द 3 हदीस 2198 सफ़ा 36)
ग़ौर फ़रमाइए
रसूल ﷺ ने तो जिसके पास
सिर्फ़ 2 चीज़ें ( कम्बल और प्याला) था उसे भी
भीख मांगने के बजाए कमा 👨🏻🔧 कर खाने की तरग़ीब दिलायी
जबकि हमने भीख दे दे कर
इनकी तादाद बढ़ा दी है
इन्हे भीख देकर मुसलमानो में भिखारियों की तादाद बढ़ाने का ज़रिया न बनिए। ज़कात फ़ित्र और सदक़ा से अपने कमज़ोर पडोसी अपने रिश्तेदारो या फिर आप जिसे जानते हो उसे भीख समझकर नहीं बल्कि उसकी माली मदद करके उसे मज़बूत बनाने में लगाए. अल्लाह से दुआ भी करे।
ये भी बेहतर है कि मदरसों में जकात वगैरा की रकम दी जाए जिससे वहा का निज़ाम चले सके और इल्म ए दीन सिख रहे लोगो की मदद हो सके
इल्म ए दीन का मर्तबा बहुत बड़ा है... क़यामत में इंसान एक एक नेकी के लिए तर्सेगा और आज हम जिन मदरसे में पैसे या दूसरी चीजों से मदद करेंगे वो नेकी उस दिन जरूर काम आयेगी....
ये भी बेहतर है कि मदरसों में जकात वगैरा की रकम दी जाए जिससे वहा का निज़ाम चले सके और इल्म ए दीन सिख रहे लोगो की मदद हो सके
इल्म ए दीन का मर्तबा बहुत बड़ा है... क़यामत में इंसान एक एक नेकी के लिए तर्सेगा और आज हम जिन मदरसे में पैसे या दूसरी चीजों से मदद करेंगे वो नेकी उस दिन जरूर काम आयेगी....
Excellent
ReplyDeleteMashallah
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ReplyDeleteMashaallah
ReplyDeleteMasha Allah
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ReplyDeleteVery best post
ReplyDeleteeid mila dun nabi quotes
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Masha Allah
ReplyDeleteMASHA ALLAH
ReplyDeleteMasha Allah subhan allah
ReplyDeleteShubhanallha
ReplyDeleteShubhaallah
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